बिजनौर में मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह ने कहा, कण-कण में विराजमान प्रभु श्रीराम

महात्मा विदुर की तपोभूमि में हुआ रामायण कान्क्लेव। मुरादाबाद मंडलायुक्त ने किया कार्यक्रम का शुभारंभ। कहा कि प्रभु श्रीराम कण-कण और जड़ चेतन में विराजमान है। विदुर गुरु गृह इंटर कालेज की छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं डीपीएस के छात्र-छात्राओं ने रामायण पर आधारित नाटिका प्रस्तुत की।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 06:00 AM (IST)
बिजनौर में मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह ने कहा, कण-कण में विराजमान प्रभु श्रीराम
महात्मा विदुर की तपोभूमि में हुआ रामायण कान्क्लेव।

बिजनौर, जेएनएन। मंडलायुक्त आन्जनेय कुमार सिंह ने महात्मा विदुर की तपोभूमि विदुरकुटी में रविवार को एक दिवसीय रामायण कान्क्लेव में कहा कि प्रभु श्रीराम कण-कण और जड़ चेतन में विराजमान है। भगवान श्रीराम ने जीवन पर्यंत मर्यादाओं का पालन किया। इससे पहले उन्होंने कार्यक्रम का शुभारंभ किया। विदुर गुरु गृह इंटर कालेज की छात्राओं ने सरस्वती वंदना एवं डीपीएस के छात्र-छात्राओं ने रामायण पर आधारित नाटिका प्रस्तुत की।

मंडलायुक्त ने कहा कि संस्कृति एवं पर्यटन विभाग की संयुक्त देखरेख में विदुरकुटी समेत सूबे के 15 जिलों में रामायण कान्क्लेव का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम के तहत लोगों को रामराज्य के दर्शन कराए जाएंगे, जबकि ढाई हजार लोक कलाकार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के जरिए रामराज्य की जीवंत करने का काम कर रहे है। वहीं, रामायण के विभिन्न प्रसंगों पर आधारित चित्रकार शिविर, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन की विभिन्न लीला पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम, रामकथा के विविध प्रसंगों पर आधारित चित्रकला, मूर्तिकला व अभिलेखों की प्रदर्शनी, स्थानीय लोक कलाकारों की लोक प्रस्तुतियां और संगोष्ठी आयोजित की जा रही हैं। स्वामी राम गोपाल दास की अध्यक्षता एवं डा. पंकज भारद्वाज के संचालन में हुए कार्यक्रम में एसपी डा. धर्मवीर ङ्क्षसह, भाजपा जिलाध्यक्ष सुभाष वाल्मीकि, डा. अरव‍िंद शर्मा, सूर्यमणि रघुवंशी, चंद्रवीर ङ्क्षसह गहलौत, डा. दीप्ति डिमरी, वरिष्ठ कवि नीरज सोती, आदि मौजूद रहे।

विदुरकुटी का पौराणिक महत्व

जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने कहा कि विदुरकुटी का इतिहास पांच हजार साल पुराना है। इस तपोस्थली का धार्मिक, ऐतिहासिक, पौराणिक एवं सांस्कृतिक महत्व है। वहीं, विदुरकुटी के संपर्क सूत्र रामायण काल से जुडे हुए हैं। उन्होंने कहा कि विदुरकुटी में संचालित पुस्तकालय में अध्ययन के लिए चारों वेद, 18 पुराण, 108 उपनिषद, रामायण गीता समेत विभिन्न ग्रंथ मौजूद है। वहीं, पंचकर्म आयुर्वेद अस्पताल एवं प्राच्य अध्ययन केंद्र की स्थापना की जाएगी।

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