Community kitchen: मेरठ में जिला प्रशासन ने सभी सामुदायिक रसोई बंद करने के दिए आदेश Meerut News

मेरठ में जिला प्रशासन ने संचालित सभी सामुदायिक रसोई बंद करने का आदेश दिया है। शासन के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई। रसोई ठेकेदारों में खलबली मच गई।

By Prem BhattEdited By: Publish:Sat, 06 Jun 2020 01:12 PM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 01:12 PM (IST)
Community kitchen: मेरठ में जिला प्रशासन ने सभी सामुदायिक रसोई बंद करने के दिए आदेश Meerut News
Community kitchen: मेरठ में जिला प्रशासन ने सभी सामुदायिक रसोई बंद करने के दिए आदेश Meerut News

मेरठ, जेएनएन। लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों को खाना उपलब्ध कराने के लिए प्रदेश सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन शहर में पांच स्थानों पर सामुदायिक रसोई संचालित कर रहा था। जिले में शुरू में डेढ़ लाख तक खाने के पैकेट रोजाना बनाए गए, लेकिन दो दिन पहले 55 हजार, गुरुवार को 36 हजार तथा शुक्रवार को मात्र 17 हजार पैकेट तैयार किए गए। शुक्रवार शाम तक जिला प्रशासन ने सभी सामुदायिक रसोई बंद करने का आदेश दिया है। शासन के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई। आदेश के बाद अफसरों और भोजन वितरण में लगे मजिस्ट्रेटों ने जहां राहत की सांस ली, वहीं रसोई ठेकेदारों में खलबली मच गई। वे भुगतान मांगने कलक्ट्रेट पहुंच गए। ठेकेदारों का आरोप है कि उन्हें पहले दिन से लेकर आज तक एक पैसा भी भुगतान नहीं किया गया है। तीन प्रमुख रसोई में से प्रत्येक ठेकेदार का लगभग 1.20 करोड़ रुपये का बिल बना है।

तारीफ कम... फजीहत का कारण ज्यादा बनीं रसोई

सरकार के आदेश पर जिला प्रशासन ने शहर और जिलेभर में लगभग 40 रसोई खुलवाईं। इनमें 19 सरकारी और बाकि समाजसेवी संस्थाओं और संगठनों की थी। शुरू में भोजन की मांग 1.50 लाख से ज्यादा तक पहुंच गई थी, फिर आरोप लगने लगे। प्रशासन ने तीन रसोई में 60 हजार पैकेट रोजाना बनाने का ठेका छोड़ा। इसके अलावा नगर निगम और आवास विकास अफसरों की मदद से भी रसोई खुलवाई। इन रसोई ने जिला प्रशासन की तारीफ तो नहीं कराई, लेकिन फजीहत खूब कराई।

मेहमानों के जाते ही खत्म हुई डिमांड

जिले में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर काम कर रहे थे। सरकारी और निजी व्यवस्था की मदद से मेरठ से लगभग 28 हजार मजदूर विभिन्न राज्यों को लौटे। इनके जाते ही जिले में खाने की मांग कम हो गई, लेकिन खाना लगातार बन रहा था और खाने की बर्बादी होने लगी थी।

शासन का आदेश, रसोई बंद

जिले की भोजन प्रभारी सीडीओ ईशा दुहन ने बताया कि खाने की मांग रोजाना कम हो रही थी। मंगलवार को शहर में 55 हजार पैकेट बने। गुरुवार को यह संख्या 36 हजार रह गई। शुक्रवार को मात्र 17 हजार पैकेट खाना बना। शासन ने लॉकडाउन-1 की गाइड लाइन के तहत सामुदायिक रसोई को अब बंद करने का आदेश दिया है, जिसके तहत जिले की सभी रसोई को बंद कर दिया गया है। सभी ने शुक्रवार शाम तक खाना दिया है। अब शनिवार को खाना नहीं लिया जाएगा।

ठेकेदार परेशान, नहीं हुआ भुगतान

रसोई बंद करने का आदेश मिलते ही तीनों प्रमुख ठेकेदार परेशान हो उठे हैं। वे सभी शाम को ही कलक्ट्रेट पहुंच गए। ठेकेदारों का आरोप है कि 17 मई से रसोई शुरू हुई, 20 दिन चली। इस दौरान लगभग चार लाख खाने के पैकेट दिए गए। प्रत्येक रसोई का सवा करोड़ रुपये का बिल है। आज तक प्रशासन ने एक रुपये का भुगतान नहीं किया है।

शासन से मांगा गया है बजट

सीडीओ ईशा दुहन ने बताया कि रसोई के भुगतान के लिए शासन से बजट की मांग की गई है। रसोई ठेकेदारों से भी संशोधित बिल मांगे गए हैं। शासन से पैसा मिलते ही भुगतान किया जाएगा। 

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