बिजनौर की दिव्यांग संगीता ने पहले खुद तराशा भाग्‍य फिर महिलाओं का बनीं सहारा

नजीबाबाद क्षेत्र के गांव महावतपुर बिल्लौच की संगीता देवी ने घर का चूल्हा चौका करने के साथ-साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ठानी। नारी शक्ति महिला स्वयं सहायता समूह गठित कर गांव की महिलाओं को इसमें जोड़ा। उनके प्रयास रंग लाए। सरकार उन्हें नारी शक्ति राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 11:30 AM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 11:30 AM (IST)
बिजनौर की दिव्यांग संगीता ने पहले खुद तराशा भाग्‍य फिर महिलाओं का बनीं सहारा
नजीबाबाद क्षेत्र में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के साथ संगीता

चरनजीत सिंह, बिजनौर। कामयाबी के दरवाजे उन्हीं के लिए खुलते हैं, जो उन्हें खटखटाने का माद्दा रखते हैं। नजीबाबाद क्षेत्र के गांव महावतपुर बिल्लौच की संगीता देवी क्षमता और योग्यता के दम पर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में जुटी हैं। दिव्यांग और विधवा होने के बावजूद वह दोहरी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं। वर्ष 2020 में केंद्र सरकार उन्हें नारी शक्ति राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है।

27 जुलाई 2017 को संगीता ने घर का चूल्हा चौका करने के साथ-साथ महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ठानी। नारी शक्ति महिला स्वयं सहायता समूह गठित कर गांव की पूनम, कुसुम, अनीता, अमलेश, ओमवती, बबली, सुमन, सोनी आदि महिलाओं को इसमें जोड़ा। बैंक से 50 हजार रुपये की लिंकेज करा सिलाई, टेंट का सामान, गाड़ी के बैग, लिफाफे, लहंगों की सिलाई, गद्दों के कवर, जूट के थैले, सजावट का सामान बनाना शुरू किया। गतवर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार के रूप में मिले एक लाख रुपये भी संगठन को आगे बढ़ाने में लगा दिए।

महिलाओं का बनीं सहारा

पोलियोग्रस्त संगीता ने स्वयं आत्मनिर्भर बनने के साथ ही गांव में 56 स्वयं सहायता समूह गठित कर 560 महिलाओं को रोजगार देना शुरू किया।

दो महिलाओं बबली व सुमन को सम्मानजनक वेतन के साथ राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में आइसीआरपी के रूप में रोजगार दिलाया। संगीता को आइटीआइ में अनुदेशक की नौकरी मिल रही थी। उन्हें ज्वाइन करने गुवाहाटी जाना था, लेकिन उन्होंने अपने उद्देश्य को प्राथमिकता देते हुए यह विकल्प छोड़ दिया।

ऐसे जागा कुछ करने का जोश

शेरकोट की बेटी संगीता के पांव बचपन से ही पोलियोग्रस्त हैं, जिस कारण मन में एक टीस थी। हाईस्कूल में 58 प्रतिशत अंक पाने के बाद जब विद्यालय टाप किया, तो कुछ करने का जोश जाग गया।

संगीता की तमन्ना अपने पांव पर खड़ा होने की कोशिश करने वाली गांव की हर महिला की आजीविका का साधन बनने की है।

कोई काम छोटा या बड़ा नहीं

घर पर मशीन से चप्पल बनाना और कई हस्त शिल्प के कामकाज।

800 से अधिक स्वयं सहायता समूहों की क्लस्टर लेवल फेडरेशन की अकाउंटेंट

एलआईसी की अभिकर्ता।

हीरोज नारी शक्ति उत्तराखंड समेत कई महिला संगठनों की प्रेरक महिला सदस्य।

तकनीकी रूप से दक्ष

राजकीय आइटीआइ नगीना से कटिंग, सिलाई का प्रशिक्षण।

नेशनल काउंसिल आफ वोकेशनल ट्रेनिंग नोएडा से प्रसिपल आफ टीचिंग का प्रशिक्षण

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