खंदक बाजार में नियति ने लिख दी ऐसी क्रूर पटकथा

शाम साढ़े सात बजे घर से उठी आग की लपटों ने जुनैद और इमरान की दुनिया ही उजाड़ दी। परिवार और रिश्तेदार 21 दिन की अलीजा के अकीका की तैयारी कर रहे थे। दिनभर से पूरा परिवार अलीजा को गले से लगाकर बैठा था।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 10:10 AM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 10:10 AM (IST)
खंदक बाजार में नियति ने लिख दी ऐसी क्रूर पटकथा
खंदक बाजार में नियति ने लिख दी ऐसी क्रूर पटकथा

मेरठ, जेएनएन। शाम साढ़े सात बजे घर से उठी आग की लपटों ने जुनैद और इमरान की दुनिया ही उजाड़ दी। परिवार और रिश्तेदार 21 दिन की अलीजा के अकीका की तैयारी कर रहे थे। दिनभर से पूरा परिवार अलीजा को गले से लगाकर बैठा था। शाम के समय आई नींद की झपकी के बाद उसे बेड पर लेटा दिया। ताकि सोमवार को अकीका के समय बच्ची को थकान न महसूस हो। किसी को नहीं पता कि नियति ने ऐसी क्रूर पटकथा लिखी है, जो अलीजा के साथ पूरे घर को खत्म कर देगी। आग की लपटों में अलीजा के साथ जुनैद और उसकी पत्‍‌नी शाहिना के अरमान भी खाक हो गए।

मकान के अंदर का दृश्य देखकर हर कोई काप उठा। दो जिंदगी खाक हो चुकी थीं। अलीजा और इनास के शव बेड पर थे और दोनों आपस में चिपकी हुई थी, जिस बेड पर दोनों बच्चिया थी। वह भी राख हो चुका था। कोयला बनी दोनों बच्चियों को देखकर हर किसी की आख भर आई। पुलिस और प्रशासनिक अफसर भी खुद को असहाय महसूस कर रहे थे। जुनैद और इमरान का कहना है कि घर में उठी आग की लपटों से बच्चियों को बचाने की हर मुमकिन कोशिश की। लेकिन सिलेंडर से गैस का रिसाव पूरे घर में फैल गया था। चंद सैंकेड में ही पूरे घर को आग ने अपनी चपेट में ले लिया था। जुनैद का कहना है कि घर के अंदर बच्चियों के रोने तक की आवाज नहीं आई। दोनों बच्चियों को आग ने रोने तक नहीं दिया। बेटी का अकीका के बजाय मौत का दृश्य देखकर मा शाहिना भी हालत खराब हो गई थी। उससे भी अहम बात है कि पूरा घर जल जाने से परिवार अचानक ही सड़क पर आ गया।

कौन समझेगा उनका दर्द

जुनैद की पत्‍‌नी शाहिना ने तीसरी बेटी अलीजा को 21 दिन पहले जन्म दिया था। जुनैद के पास उससे पहले एक बेटा और बेटी है। जुनैद कंप्यूटर से कपड़ों पर कढ़ाई का काम करता है। परिवार और रिश्तेदारों के कहने पर जुनैद ने बेटी का अकीका करने का प्लान बनाया था। उसके लिए परिवार और रिश्तेदार भी आए हुए थे। सोमवार को अकीका का कार्यक्रम होना था। हादसा ऐसा हुआ कि जिसका अकीका होना तो वह ही इस दुनिया को अलविदा कह गई।

सैकड़ों लोगों को थी उम्मीद की बच्ची बच जाए

आग की लपटों में घिरे मकान को देखकर चंद मिनटों में सैकड़ों लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। हर कोई आग बुझाने का प्रयास कर रहा था, जब लोगों को पता चला कि मकान के बेडरूम में दो बच्ची सोई हुई है। तब लोग यह उम्मीद कर रहे थे कि दोनों मासूम बच जाए। एक दुनिया में 21 दिन पहले तो दूसरी 30 पहले आई थी। आखिर उन बच्चियों का क्या कसूर था? परिवार के लोग भगदड़ में दोनों बच्चियों को घर के अंदर ही भूल गए थे।

इस गंभीर हादसे की जवाबदेही तो तय करनी होगी

अफसर इस हादसे में यह कहकर बच नहीं सकते कि गैस रिसाव की वजह से घटना हुई है। सवाल है कि गैस सिंलेडर पर लगे पाइप की क्वालिटी खराब थी। यही कारण है कि गैस पाइप से गैस रिसाव हुआ और पूरे घर के अंदर तक गैस फैल गई। किसी को गैस के अंदर फैलने की गंध तक नहीं आई, जैसे ही गैस जलाने के लिए लाइटर जलाया। तभी आग ने पूरे घर को चपेट में ले लिया। फिर दमकल की गाड़ियों ने पहुंचने में देर लगाई। जब तक गाड़िया मौके पर पहुंची तब तक आसपास के लोग आग पर काबू पा चुके थे। सवाल है कि अफसर दमकल के टाइम में सुधार क्यों नहीं करा पा रहे हैं। एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने बताया कि सीएफओ से इस पर जवाब मागा जाएगा। कई घटनाओं में दकमल के देरी से पहुंचने की शिकायत आ चुकी है।

इसके साथ ही यह प्रविधान है कि रसोई गैस सेवा प्रदाता समय-समय पर घरों में गैस संचालन की जांच करेंगे, उपकरणों की जांच कर उपभोक्ता को जरूरत के अनुरूप आगाह या सलाह देते रहेंगे। लेकिन अब यह प्रक्रिया पूरी तरह से बंद है। आखिर इस बंदी के लिए दोषी कौन है।

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