सहारनपुर में रोज बढ़ रहा डेंगू का कहर, तप रहे अस्पताल, इंतजाम नाकाफी

Dengue सहारनपुर में नगरों की अपेक्षा ग्रामीण इलाकों में डेंगू ने अधिक कहर ढहाया। जिस कारण मरीज शहरी क्षेत्रों में पहुंचकर सरकारी व निजी अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं। ऐसे में शहरी क्षेत्र में भी डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।

By Parveen VashishtaEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 10:49 AM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 10:49 AM (IST)
सहारनपुर में रोज बढ़ रहा डेंगू का कहर, तप रहे अस्पताल, इंतजाम नाकाफी
सहारनपुर में रोज बढ़ रहा डेंगू का कहर, तप रहे अस्पताल, इंतजाम नाकाफी

सहारनपुर, जागरण संवाददाता। डेंगू का कहर दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। मंगलवार शाम तक मरीजों का सरकारी आंकड़ा 221 तक पहुंच गया था। निजी अस्पतालों का आंकड़ा अलग से है। ऐसा कोई अस्पताल नही है, जहां डेंगू के मरीज भर्ती न हो। कई अस्पतालों का हाल यह है कि बेड नहीं है। सरकारी दावे फेल हो रहे हैं और उन पर लोगों को भरोसा नहीं रह गया है।

शहर की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्र में डेंगू का अधिक प्रकोप

ग्रामीण इलाकों में डेंगू का कहर अधिक है। जिस कारण मरीज शहरी क्षेत्रों में पहुंचकर सरकारी व निजी अस्पताल में अपना इलाज करा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में भी डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। हालांकि जिला मलेरिया अधिकारी शिवांका गौड़ का दावा है कि करीब 15 दिन बाद स्थिति सामान्य हो जाएगी, लेकिन बेलगाम होते डेंगू पर स्वास्थ्य विभाग की पकड़ कमजोर दिखाई दे रही है। विभाग डेंगू को ग्लूकोज देने में नाकाम दिख रहा है। हालांकि जिला मलेरिया अधिकारी का कहना है कि जिस तेजी से डेंगू के मरीज मिल रहे है। उसी तेजी से ठीक भी हो रहे है। लोगो को डेंगू के प्रति जागरूक भी किया जा रहा है। सिटी और देहात में उनकी 20 से अधिक टीम लगी हुई है। लोगो को साफ सफाई और पानी जमाव के बारे में जागरूक किया जा रहा है।

मरीजों की बढ़ सकती है परेशानी

आंकड़ो के अनुसार जिला अस्पताल के डेंगू वार्ड में 50 बेड लगाए गए थे, लेकिन बुखार के बढ़ते मरीजों की संख्या के कारण डेंगू वार्ड से 10 बेड हटाकर अन्य जगह पर शिफ्ट किया गया है। जिस कारण डेंगू मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है। बुखार के मरीजों को बेड तक नहीं मिल पा रहे हैं। बैंचों और स्ट्रेचरों पर मरीजों को लेटाकर ग्लूकोज की बोतल चढ़ाई जा रही है। वहीं गंभीर मरीजों को हॉयर सेंटर रेफर किया जा रहा है। यही कारण है कि निजी अस्पतालों में भी बेड फूल दिखाई दिए रहे हैं। मरीजों को बेड लेने के लिए जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की सिफारिश लगानी पड़ रही है।

सरकारी आंकड़ों में एक भी मौत नहीं

जिले में सरकारी आंकड़ों में एक भी मौत नहीं, वैसे रोज ही मौत के मामले सामने आ रहे हैं। बीते मंगलवार को नानौता में 13 वर्षीय छात्र कृष्णा ने बुखार से दम तोड़ दिया। कृष्ना कक्षा सात का छात्रा था। वहीं गंगोह में भी पांच दिन के नवजात ने बुखार से दम तोड़ दिया। वहीं रामपुर मनिहारान के घाटेडा के रिटायर्ड दारोगा हरपाल सिंह के कांस्टेबल बेटे सचिन (35) की डेंगू से मौत हो गई। मृतक कांस्टेबल मेरठ के हस्तिनापुर में तैनात था। कुछ समय पहले ही मेरठ में आमद की थी। पहले निजी अस्पताल में दिखाया, आराम नहीं मिलने पर मेरठ अस्पताल में भर्ती कराया। यहां भी आराम नहीं मिला तो सचिन को दिल्ली रेफर कर दिया। जहां पर 16 घंटे इलाज के दौरान सचिन की मौत हो गई। इससे पहले भी दर्जन भर मौत डेंगू से हो चुकी है।

बेड एक, उपचार दो का हो रहा

सरकारी हो या फिर निजी अस्पताल सभी की हालत खराब है। एक-एक बेड पर दो-दो मरीज भर्ती है। कोरोना गाइडलाइन का पालन भी करना लोग और अस्पताल प्रबंधन भूल चुके हैं। मास्क भी किसी दिखाई नहीं दे रहा है। बुखार का कहर देखकर लोग कहने लगे हैं कि कहीं अधिकारी डेंगू बताकर कोरोना को छिपा तो नहीं रहे है। हालांकि डा. संजीव मिगलानी, बुखार स्पेशलिस्ट डा प्रवीण शर्मा और सीएमओ डा. संजीव मांगलिक से बात की तो उन्होंने बताया कि ये कोरोना नहीं, डेंगू ही है। लोगो की प्लेलेट्स कम हो रही है। कोरोना में आक्सीजन लेवल कम होता है। डेंगू और कोरोना के लक्षण अलग-अलग होते है।

ये है कोरोना के लक्षण

सांस में तकलीफ होना।

- आक्सीजन लेवल का कम होना

- बेहोशी या ब्रेन फंक्शन में दिक्कत।

- छाती में दर्द उठना।

- होठो पर नीलापन।

ये है डेंगू के लक्षण

- लगातार सिर में दर्द होना।

- मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द

- जी मिचलाना

- उल्टी लगना

- आंखों के पीछे दर्द

- ग्रंथियों में सूजन

- त्वचा पर लाल निशान होना।

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