सहारनपुर में डेंगू का कहर, खून की कमी से जा रही जान, नहीं मिल रही बुखार की नब्ज

सहारनपुर जिला अस्पताल में बुखार के मरीजों के साथ-साथ अन्य बीमारियों के मरीजों की भी कतार लगी है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के सामने बड़ी समस्या यह आ रही है कि उनके पास संसाधनों और स्टॉफ की कमी है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 03:56 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 03:56 PM (IST)
सहारनपुर में डेंगू का कहर, खून की कमी से जा रही जान, नहीं मिल रही बुखार की नब्ज
सहारनपुर में डेंगू का कहर, खून की कमी से जा रही जान

सहारनपुर, जागरण संवाददाता। जिले में कोरोना की दूसरी लहर ने पूरा तांडव मचाया था। वर्तमाल में जिला कोरोनामुक्त है, लेकिन अब डेंगू व वायरल बुखार ने कहर मचाया हुआ है। जिले के कई लोगों की जान जा चुकी है। एक युवक ने तो खून की कमी के कारण देहरादून के एक अस्पताल में दम तोड़ दिया। स्वास्‍थ्‍य विभाग बुखार की नब्ज टटोलने में नाकाम दिख रहा है। हालांकि डेंगू से बचाव को जिले भर में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

गत सोमवार को गांव तीतरों में सपना (36) व प्रशांत (30) की बुखार के कारण मौत हो गई। वहीं गांव अंबेहटा में भी मरियम (12) ने भी बुखार से दम तोड़ दिया है। सरकारी व निजी अस्पतालों में मरीजों की कतार लगी हुई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में 116 डेंगू के मरीज उपचार करा रहे है, जबकि डेंगू से 20 से ज्यादा मौत हो चुकी है।

खून की कमी से मरीजों की मौत

बुखार के कारण मरीजों में अचानक खून की कमी हो रही है। कई मामलों में इसके करीब 12 घंटे के बाद ही मरीज की जान चली जाती है। यह स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिल रही है। ग्रामीण मरीज बुखार को हल्के तौर पर ले रहे हैं और दुकान, मेडिकल स्टोर या फिर झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़ जाते हैं और मौत की आखिरी दहलीज पर पहुंच जाते हैं। ऐसा ही एक मामला बेहट रोड के गोपालपुर में विकास (22) के साथ हुआ। बुखार में वह कुछ दिनों तक इधर-उधर से दवाई खाता रहा, लेकिन स्थिति खराब होने पर देहरादून के एक अस्पताल में भर्ती हुआ। जहां उसमें खून की कमी हो गई। स्‍वजन खून के लिए इधर-उधर भटकते रहे। खून न मिलने के कारण विकास की मौत हो गई। 

जिला अस्पताल बना रेफरल सेंटर

जिला अस्पताल में बुखार के मरीजों के साथ-साथ अन्य बीमारियों के मरीजों की भी कतार लगी है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के सामने बड़ी समस्या यह आ रही है कि उनके पास संसाधनों और स्टॉफ की कमी है। ऐसे में इमरजेंसी में बैठे चिकित्सक अपना लोड कम करने के लिए गंभीर मरीजों को रेफर कर रहे हैं। गरीब मरीज अपना इलाज बाहर नहीं करा पाते हैं, जिस कारण उनकी जान पर बन जाती है। इमरजेंसी के आंकड़ों पर नजर डाले तो करीब डेढ़ माह में 469 लोगों को हायर सेंटर रेफर किया गया है। जिनमें से बुखार के 300 से ज्यादा मरीज है।

झोलाछाप डॉक्टर बड़ी परेशानी

जिले में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। सस्ते और सुगम इलाज के चक्कर में मरीज झोलाछाप डॉक्टरों के चक्करों में पड़कर अपनी जान गंवाने में लगे हैं। वहीं स्वास्थ्य विभाग भी मूकदर्शक बनकर बैठा है। बेहट क्षेत्र में कुछ दिन पूर्व एक झोलाछाप पेड़ों पर ग्लूकोज की बोतल टांगकर इलाज करने का वीडियो सामने आया था। जिसमें बुखार के बच्चों को ग्लूकोज चढ़ाकर इलाज किया जा रहा था।

इन्‍होंने कहा

मरीजों के इलाज को लेकर स्वास्थ्य विभाग गंभीर है। बुखार को लेकर उनकी टीमें काम कर रही है। शहर और गांव देहात में कैम्प लगाए जा रहे हैं। फिलहाल वायरल बुखार चल रहा है। स्टाफ कमी है, जिसके लिए शासन को पत्र भेजा हुआ है।

डा.संजीव मांगलिक, सीएमओ

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