Delhi-Meerut Rapid Rail: सटीक एलाइनमेंट के लिए लगाई गई यह खास तकनीक, छोटी सी गलती होने पर तुरंत देगी संकेत
Delhi-Gaziabad-Meerut Rapid Rail रैपिड रेल के प्रोजेक्ट का काम रफ्तार पकड़ चुका है। इसी बीच में एक खास तकनीक का प्रयोग किया गया है जो महीन गलती होने पर भी तुरंत सुचनाएं देगी। ऐसी तकनीक देश में पहली बार प्रयोग किया जा रहा है। इससे काम को और रफ्तार मिलेगी।
मेरठ, जेएनएन। Delhi-Gaziabad-Meerut Rapid Rail रैपिड रेल के प्रोजेक्ट का काम रफ्तार पकड़ चुका है। इसी बीच में एक खास तकनीक का प्रयोग किया गया है, जो महीन गलती होने पर भी तुरंत सुचनाएं देगी। इससे सर्वे में फायदा मिलेगा। गलती होने पर तुरंत ही कंट्रोल रूम को इस बारे में जानकारी हो जाएगी। ऐसी तकनीक का देश में पहली बार प्रयोग किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि इससे काम को और रफ्तार मिलेगी। आइए विस्तार से जानते हैं इस खास तकनीक के बारें में।
सैटेलाइट से भेजेगी सूचनाएं
रैपिड रेल कॉरिडोर के निर्माण में किसी भी तरह से कोई कमी न रहे। उसका एलाइनमेंट सटीक रहे इसके लिए CORS तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। इसके अंतर्गत कॉरिडोर के प्रत्येक 10 किलोमीटर पर रोवर्स और रेफरेंस स्टेशन स्थापित किए गए हैं। ये सैटेलाइट के माध्यम से सूचनाएं कंट्रोल रुम तक भेजते हैं जिसके आधार पर सर्वे चलता रहता है। इसका फायदा यह होता है कि 82 किलोमीटर का जो एलाइनमेंट है इसमें कहीं से भी थोड़ी से भी गलती का मौका नहीं रहेगा। एक मिलीमीटर की बारीक कमी को दूर करता है। यह तकनीक किसी रेलवे प्रोजेक्ट में देश में पहली बार प्रयोग की जा रही है।
इस वजह से प्रयोग की गई तकनीक
NCRTC Delhi-Gaziabad-Meerut RRTS Coridore के निर्माण मे सटीक सिविल स्ट्रक्चर एलाइनमेंट को सुनिश्चित करने के लिए "कन्टिन्यूसली ऑपरेटिंग रिफरेन्स स्टेशन (CORS)" प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ एक 82 किमी लंबा कॉरिडोर है जो नदी, रेलवे लाइनों, सड़कों और फ्लाईओवर के ऊपर से जा रहा है और इसलिए सिविल स्ट्रक्चर एलाइनमेंट में सटीकता बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इसे ध्यान में रखते हुए, एनसीआरटीसी ने एक नई सर्वेक्षण तकनीक, CORS को अपनाया है जो देश में पहली बार उपयोग में लायी जा रही है।
जानिए क्या है CORS
यह एक ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (GPS) आधारित तकनीक है जो मुख्य रूप से सर्वेक्षण, मैपिंग और संबंधित विषयों में उपयोग में लायी जाती है। इस तकनीक द्वारा सिविल निर्माण में पूर्व निर्धारित कॉरिडॉर की मार्गरेखा बनाने में पूर्ण सटीकता शुनिश्चित की जाती है ताकि निर्धारित एलाइनमेंट को प्राप्त किया जा सके।
CORS 'रेफरेंस स्टेशनों' का एक नेटवर्क है जो दिल्ली-गाज़ियाबाद-मेरठ RRTS कॉरिडोर के साथ साथ हर 10-15 किलोमीटर पर स्थापित किया गया है, ये CORS 'रेफरेंस स्टेशन' कंट्रोल सेंटर से जुड़े होते हैं, और रोवर्स के आधार पर वास्तविक एलाइनमेंट प्राप्त करने के लिए जरूरी करेक्शन प्रदान करते हैं। यह करेक्शन कम से कम तीन से पाँच संदर्भ स्टेशनों द्वारा प्रदान किया जाता है जिससे 10 मिमी तक की सटीकता प्राप्त होती है।