Delhi-Meerut Expressway: पहली ही बारिश ने खोली एक्‍सप्रेस वे की पोल, दुर्घटना से बचना है तो संभल कर चलें

एक्‍सप्रेस वे पर सफर कर रहे हैं तो जरा संभल जाइए। भोजपुर में मेरठ की तरफ चढऩे वाले रैंप का किनारे वाला हिस्सा तीसरी बार धंस गया। दो बार बारिश में पिछले महीने धंस गया था। दो बार डामर किया गया फिर भी यहां की मिट्टी धंस रही है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 01:30 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 01:30 PM (IST)
Delhi-Meerut Expressway: पहली ही बारिश ने खोली एक्‍सप्रेस वे की पोल, दुर्घटना से बचना है तो संभल कर चलें
मेरठ-बुलंदशहर हाईवे के किनारे बारिश से फफूंडा के पास हुआ गड्ढा। सौ. एक यात्री

मेरठ, जेएनएन। Delhi Meerut Expressway मानसून की पहली बारिश ने असर दिखाना शुरू कर दिया है। दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर किनारे की तरफ मिट्टी का कटान ज्यादा बढ़ गया है। दर्जनों नए गड्ढे हो गए हैं। जो गड्ढे पहले से थे वे अब ज्यादा गहरे हो गए हैं। पांच-छह स्थान पर किनारे की तरफ डामर वाली परत भी धंस गई है। हालांकि टीम मरम्मत कार्य में उतारी गई है।

यह है हाल

भोजपुर में मेरठ की तरफ चढऩे वाले रैंप का किनारे वाला हिस्सा तीसरी बार धंस गया। दो बार बारिश में पिछले महीने धंस गया था। दो बार डामर किया गया, फिर भी यहां की मिट्टी धंस रही है। जिस तरह से इसकी मिट्टी रोकने का उपाय करना चाहिए था, उस तरह से नहीं किया जा रहा है। यहां की मिट्टी तभी रुकेगी जब कंक्रीट का कार्य किनारे की तरफ हो। यदि ऐसा नहीं किया गया तो हादसे की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता। सोलाना गांव के पास भी यही हाल हुआ। दो बार डामर की परत डालने के बाद किनारे की पटरी फिर धंस गई।

दुर्घटनाओं को मिलेगा बढ़ावा

यही नहीं, गड्ढा अब काफी चौड़ा हो गया है। इसी तरह से अन्य कई स्थानों का हाल है। नालियों के नीचे से मिट्टी खिसक गई तो कहीं क्रैश बैरियर के पिलर गड्ढे में लटकने लगे हैं। नालियां भी कई स्थान पर मिट्टी धंसने के साथ ही टूट गई हैं। वैसे तो मरम्मत करने के लिए टीम उतारी गई हैं, लेकिन क्षतिग्रस्त किनारे को सुधारने के लिए तेज गति से कार्य करने की जरूरत है। यदि ये किनारे यदि किनारे वाली डामर की परत को ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे तो दुर्घटनाएं होंगी। रात की यात्रा हादसे में बदल सकती है।

सभी लेन सुरक्षित हैं, सिर्फ किनारे रखें ध्यान

छह लेन के एक्सप्रेस-वे में दोनों तरफ तीन लेन हैं और 2.50 मीटर का पेव एरिया है। लगभग यह भी एक लेन की ही तरह है। जिसे गाड़ी रोकने के लिए बनाया जाता है। इसका अक्सर उपयोग दो पहिया वाहन चालक या ज्यादा धीमी गति से चलने वाहन करते हैं। एक्सप्रेस-वे के सभी लेन पूरी तरह से सुरक्षित हैं। पेव एरिया ही कुछ स्थानों पर किनारे के गड्ढों की वजह से क्षतिग्रस्त हुआ है। ऐसे में यदि ध्यान से चलेंगे तो पेव एरिया में भी आसानी से चला जा सकता है। फिर भी किनारे की तरफ चलने में सतर्कता की जरूरत है।

मेरठ-बुलंदशहर हाईवे के किनारे बारिश से हुए गड्ढे

मेरठ में एनएच-334 यानी मेरठ-बुलंदशहर हाईवे का हाल भी दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे की तरह हो रहा है। मानसून की बारिश से इस हाईवे के भी मिट्टी भराव वाले किनारे कटने लगे हैं। कई स्थानों पर गड्ढे हो गए हैं। फफूंडा गांव के पास गहरा गड्ढा हो गया है। वैसे तो एक्सप्रेस-वे जमीन से करीब छह फीट ऊंचाई पर बना है। खेतों के बीच से गुजरा है और बिलकुल नया भराव है लेकिन मेरठ-बुलंदशहर हाईवे की जमीन से मामूली ऊंचाई है। यहां पर पहले से ही सड़क थी। पहले से बनी सड़क को चौड़ी करके चार लेन का हाईवे बनाया गया है।

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