Delhi-Meerut Expressway: अगले बरस बारिश से नहीं कटेंगे किनारे, टिकी रहेंगी नालियां
दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पर जहां भी मिट्टी भराव होता वहां कुछ समय फिर गड्ढा हो जाता था। अब पुलिया व अंडरपास पर जल भराव की समस्या चिह्नित करके वहां का ढलान नाली की तरफ व्यवस्थित कर लिया गया है।
मेरठ, जागरण संवाददाता। इस बार मई से लेकर सितंबर तक दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे में हो रही कटान से कार्यदायी कंपनी जूझती रही। कहीं किनारे कट रहे थे तो कहीं नालियां टूट कर धंस गईं। पुलिया व अंडरपास पर जलभराव से उसके किनारे डामर की परत धंस गई। इसको लेकर सवाल उठने लगे। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के उच्च अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया।
अब पुलिया व अंडरपास पर जल भराव की समस्या को किया चिह्नित
वैसे तो कार्यदायी कंपनी शुरू से ही मरम्मत में जुटी है लेकिन हर बार बारिश से मेहनत पर पानी फिर रहा था। जहां भी मिट्टी भराव होता वहां कुछ समय फिर गड्ढा हो जाता था। अब पुलिया व अंडरपास पर जल भराव की समस्या चिह्नित करके वहां का ढलान नाली की तरफ व्यवस्थित कर लिया गया है। साथ ही इन पुलिया व अंडरपास के चारों तरफ जो सूट ड्रेन बनाई गई थी उसे उखाड़कर फिर से वहां पर पत्थर लगा दिए गए और पानी नीचे उतारने के लिए कंक्रीट-मसाले की पक्की परत डाल दी गई। वहीं मेरठ से डासना तक एक्सप्रेस-वे पर जो भी नालियां थी वे अधिकांश टूट गई थीं। क्योंकि बारिश की वजह से उनके नीचे की मिट्टी धंस गई थी। ये नालियां पहले से तैयार करके यहां पर स्थापित गई थीं। जोकि बारिश नहीं सहन कर सकीं। इस समस्या को देखकर उन नालियों के नीचे पहले पत्थर की परत डाली दी गई फिर वहीं पर कंक्रीट-मसाले से पक्की नाली बना दी गई। इंजीनियरों के मुताबिक रेडीमेड यानी प्रीकास्ट नालियां जगह-जगह जोड़ होने के कारण टूटी थीं। क्योंकि उन्हें साइट पर लाकर जोड़ा जाता है। मगर साइट पर ही तैयार की गई नाली नहीं टूट सकती।
उगाई जा रही घास, किनारे के नाले भी हो रहे दुरुस्त
एक्सप्रेस-वे के दोनों तरफ मिट्टी भराव वाले स्थान पर घास उगाई जा रही है। क्योंकि घास न उग पाने व मिट्टी की सतह मजबूत न होने से कटान की समस्या आई थी। लेकिन जब हर जब मिट्टी हर जगह उग जाएगी तब बारिश से मिट्टी के किनारे नहीं कटेंगे। वहीं नीचे की तरफ खेतों के पास एक्सप्रेस-वे के साथ-साथ 30 किमी लंबा सामान्य चौड़ाई का नाला भी खोदा गया है। इन्हें भी अब दुरुस्त किया गया है। इससे एक्सप्रेस-वे का पानी नीचे उतरकर खेतों में जाने के बजाय इस नाले में एकत्र होता जाएगा। नाले को कई स्थान पर रेन वाटर हार्वेङ्क्षस्टग यूनिट से जोड़ा गया है ताकि पानी धरती में चला जाए।