सावधान! मेरठ में भर्ती से लेकर उपचार तक का हो रहा सौदा, मेडिकल कालेज के गेट पर घुसते ही मिल जाता है गैंग
कोरोना काल में मर रही मानवीय संवेदनाओं के कई शर्मनाक पहलू सामने आ रहे हैं। मेरठ मेडिकल कालेज में मरीजों की बेबसी का फायदा उठाकर भर्ती कराने से लेकर उपचार कराने तक सौदेबाजी चल रही है। इसमें कई गैंग काम कर रहे हैं।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना काल में मर रही मानवीय संवेदनाओं के कई शर्मनाक पहलू सामने आ रहे हैं। मेडिकल कालेज में जहां बेहाल स्वजन अपने मरीजों को भर्ती कराने को दौड़-भाग कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग लोगों की इसी बेबसी को भी धंधा बना रहे हैं। मेडिकल कालेज के गेट से लेकर कोरोना वार्ड तक पूरा गैंग काम कर रहा है। लोगों की परेशानी हल करने का झांसा देकर ठगी का प्रयास हो रहा है। गैंग से जुड़े शातिर कोरोना पीड़ितों के स्वजन को उनके संक्रमित को भर्ती कराने से ले बेहतर उपचार तक की निश्चित रकम खर्च करने पर आश्वासन दे रहे हैं।
मेडिकल कालेज में जनपद के साथ पड़ोसी जिलों से भी हर दिन संक्रमित मरीजों को लेकर स्वजन पहुंच रहे हैं। मरीज को भर्ती कराने के लिए सिफारिश भी खूब लग रही है जबकि कई मरीजों को आक्सीजन युक्त बेड न होने का बहाना बनाकर वापस भी कर दिया जा रहा है। ऐसे में परेशान स्वजन की हालत का लाभ उठाने वाला गैंग भी मेडिकल कालेज में सक्रिय हो गया है। दो दिन पहले हापुड़ से यहां एक महिला मरीज को भर्ती कराने और बेहतर उपचार का झांसा देकर 25 हजार रुपये की मांग की गई थी। हालांकि महिला की हालत अधिक खराब होने के कारण स्वजन उसे वापस ले गए। सोमवार को भी बागपत से आए एक मरीज को भर्ती गैंग ने संपर्क किया और रुपयों की मांग सामने रख दी। हालांकि बाद में मरीज को मेडिकल प्रशासन ने खुद भर्ती कर लिया था।
पहले मदद, फिर मांग
मंगलवार को गैंग के शातिरों से संक्रमित का स्वजन बनकर बातचीत की गई तो उन्होंने पहले संक्रमण को लेकर काफी दुख जताया और मेडिकल में मरीज को बेहतर उपचार का आश्वासन देकर हर संभव मदद की बात कही। गैंग के शातिरों ने पर्चा बनाने वाले से लेकर वार्ड में देखभाल करने के लिए तैनात मेडिकल स्टाफ के नाम पर रुपयों की मांग सामने रखी। साथ ही मरीज की जान का वास्ता देकर रुपये खर्च करने पर पूरा जोर दिया।
सचेत रहते हैं शातिर
गैंग में शामिल शातिर सचेत रहते हैं। कोविड वार्ड के पास रहने वाले स्वजन से काफी घुलमिल कर रहते हैं, ताकि किसी को शक न हो। पहले खुद को संक्रमित का स्वजन बताते हैं, बाद में अपने मरीज को भर्ती कराने और अच्छा उपचार होने की बात करते हैं। ऐसे में परेशान स्वजन अच्छे उपचार की बात सुनकर जल्दी झांसे में आ जाते हैं। चर्चा है कि कई शिकार भी बन चुके हैं।