मेरठ पल्लवपुरम हाईवे के कई कट खुले, हो सकते हैं बड़े हादसे, मांग के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई

नेशनल हाईवे-58 पर पल्लवपुरम फेज-वन और फेज-दो के सामने कट बंद न होने से सड़क हादसे होने का खतरा मंडरा रहा है। कट बंद न होने के कारण आए दिन सड़क हादसे होते हैं। पल्हैड़ा फ्लाईओवर बनने के बाद भी नहीं हो रहे कट बंद।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 04:20 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 04:20 PM (IST)
मेरठ पल्लवपुरम हाईवे के कई कट खुले, हो सकते हैं बड़े हादसे, मांग के बाद भी नहीं हो रही कार्रवाई
मेरठ पल्लवपुरम हाईवे के कई कट खुले।

मेरठ, जेएनएन। नेशनल हाईवे-58 पर पल्लवपुरम फेज-वन और फेज-दो के सामने कट बंद न होने से सड़क हादसे होने का खतरा मंडरा रहा है। कट बंद न होने के कारण आए दिन सड़क हादसे होते हैं। पल्लवपुरम थाना पुलिस भी कई बार एनएचएआइ से कटों को बंद करने की मांग कर चुकी है।

यह है मामला

एनएचएआइ के द्वारा हाईवे-58 पर परतापुर तिराहे से मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे तक करीब 270 करोड़ रुपये की लागत से विभिन्न प्रकार के निर्माण कार्य संपन्न हुए हैं। इनमें मेरठ की सीमा में कंकरखेड़ा में खिर्वा कट, पल्लवपुरम में पल्हैड़ा कट और दौराला में दादरी कट पर अंडरपास फ्लाईओवर का निर्माण हुआ है। इन तीनों ही फ्लाईओवर के निर्माण पूरा होने पर एनएचएआइ को इसके आसपास के सभी कटों को बंद करना था। ताकि तेज रफ्तार में फ्लाईओवर पर चढ़ने और उतरने वाले वाहनों से इन कटों पर कोई सड़क हादसा न हो जाए। तीनों ही फ्लाईओवर पर पिछले करीब तीन महीने से वाहन फर्रांटा भर रहे हैं, मगर अभी तक कटों को बंद नहीं किया गया।

पल्लवपुरम फेज-वन का कट बना खतरनाक

इन तीनों फ्लाईओवर के पास बने कटों में सबसे अधिक खतरा पल्हैड़ा फ्लाईओवर के पास बना रहता है। पल्लवपुरम फेज-वन के सामने डीएमआइ स्कूल है। साथ ही फेज-वन में आने जाने वाले वाहन भी इसी कट से हाईवे पर पहुंचते हैं। ऐसे में पल्हैड़ा फ्लाईओवर पर चढ़ने और उतरने वाले तेज रफ्तार के वाहन पलक झपकते ही फेज-वन के कट तक पहुंच जाते हैं। जिससे बड़ा हादसा हो सकता है। हालांकि आए दिन यहां पर छोटे हादसे होते रहते हैं।

इनका कहना है...

हाईवे के कटों को पुलिस की मदद से बंद नहीं हो सकते। कई बार पुलिस की मांग की थी, मगर कुछ नहीं हुआ। अफसरों से दोबारा बातचीत करने के बाद कटों को बंद करने का कार्य प्रारंभ किया जाएगा।

- डीके चतुर्वेदी, पीडी-एनएचएआइ।  

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