Covid-19 Effect: मासूमों के लिए मुसीबत बना खुद को अनाथ साबित करना, 7 प्रमाण पत्र व 21 सवालों में उलझे बेबस बच्चे
कोरोना काल में अनाथ व बेसहारा हुए बच्चों को खुद को अनाथ साबित करने के लिए पापड़ बेलने पड़ गए। सबसे अधिक दिक्कत सात तरह के प्रमाण पत्र बनवाने में आई। प्रमाण पत्रों के लिए बच्चों व उनके रिश्तेदार सरकारी दफ्तरों के चक्कर ही काटते रहे।
जागरण संवाददाता, मेरठ। कोरोना काल में अनाथ व बेसहारा हुए बच्चों को खुद को अनाथ साबित करने के लिए पापड़ बेलने पड़ गए। सबसे अधिक दिक्कत सात तरह के प्रमाण पत्र बनवाने में आई। प्रमाण पत्रों के लिए बच्चों व उनके रिश्तेदार सरकारी दफ्तरों के चक्कर ही काटते रहे। कोरोना के कारण अनाथ व बेसहारा हुए बच्चों की पूरी जिम्मेदारी एक तरह से केंद्र व प्रदेश सरकार ने ही उठा ली है। लेकिन यहां सबसे अधिक दिक्कत लाभ प्राप्त करने के लिए तय मापदंड पूरे करने में सामने आई। सात प्रमाण पत्र व 21 सवालों का जवाब तलाशने में बच्चों के साथ उनके रिश्तेदार भी चक्कर काटते नजर आए। जरूरी प्रमाण पत्रों में अभिभावक का मृत्यु प्रमाण पत्र, शिक्षण संस्थान में पंजीकरण का प्रमाण पत्र, प्रदेश का निवासी होने का घोषणा पत्र, आय प्रमाण पत्र, गोद लेने से संबंधित पत्र, बच्चे का आयु प्रमाण पत्र व आवेदक को घोषणा पत्र भी जमा कराना होगा।
इस तरह सरकार देगी मदद अनाथ व बेसहारा बच्चों के खाते में आएंगे 40 हजार कक्षा 6 से 12 वीं तक की शिक्षा आवासीय विद्यालय व कस्तुरबा गांधी विद्यालय में होगी। अनाथ व बेसहारा हुआ बच्चों को पढ़ाई के लिए मिलेगा लैपटाप मासिक सहायता के रूप में चार हजार रुपये दिए जाएंगे बच्चों की संपत्ति की निगरानी करेंगे अधिकारी बालिग हो चुकी युवतियों के विवाह के लिए मिलेंगे एक लाख एक हजार रुपये
538 बच्चे लाभान्वित
मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के तहत बुधवार को मेरठ व आसपास के जिलों में 538 बच्चे लाभान्वित हुए। इसके तहत मेरठ के 102, बिजनौर के 36, बागपत के 44, बुलंदशहर के 11, सहारनपुर के 119, शामली के 105 और मुजफ्फरनगर के 121 बच्चे लाभान्वित किए गए।
जिला प्रोबेशन अधिकारी शत्रुघ्न कनौजिया ने कहा: कोरोना से अनाथ व बेसहारा हुए 102 बच्चों की जांच पूरी कर शासन को भेज दी गई है। 90 बच्चों के लिए बजट जारी हो चुका है। मदद पाने के लिए प्रमाण पत्र बनवाने के लिए जिला प्रशासन ने स्वयं संज्ञान लेकर मदद की और समय से प्रमाण पत्र बनवाएं गए।