Coronavirus Outbreak: मेरठ में यह कौन सा स्ट्रेन है जो 48 गुना तेजी से फैला? जीनोम सीक्वेंसिंग से चलेगा पता
मेरठ में दो माह में 48 गुना तेजी से संक्रमण कैसे फैला। कई इलाकों में संक्रमण की दर 50 फीसद पार कर गई। मेडिकल कालेज के विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार रक्त में थक्का बनाने तेज निमोनिया हार्ट अटैक और लकवा के मामले ज्यादा मिले।
मेरठ, जेएनएन। जीनोम सीक्वेंसिंग कराई गई होती तो पता चल जाता कि दो माह में 48 गुना तेजी से संक्रमण कैसे फैला। कई इलाकों में संक्रमण की दर 50 फीसद पार कर गई। मेडिकल कालेज के विशेषज्ञों का कहना है कि पिछली लहर की तुलना में इस बार रक्त में थक्का बनाने, तेज निमोनिया, हार्ट अटैक और लकवा के मामले ज्यादा मिले। डाक्टरों ने बताया कि यह पिछला स्ट्रेन नहीं है। संभव है कि यहां पर महाराष्ट्र, तेलंगाना से लेकर ब्राजील या कनाडा में संक्रमित वायरस पहुंच गया हो। डाक्टरों ने मरीजों की केस स्टडी विदेशों में भर्ती मरीजों से मिलाना शुरू कर दिया है।
सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि तीन माह पहले इंग्लैंड का स्ट्रेन मेरठ में संक्रमित हुआ, लेकिन बेअसर रहा। इस बीच कोरोना संक्रमण कम होने से बड़ी संख्या में लोगों का दिल्ली व महाराष्ट्र आना-जाना शुरू हुआ। मार्च में जिले में एक लाख से ज्यादा सैंपलों की जांच की गई, जिसमें सिर्फ 0.4 फीसद संक्रमण दर मिली। अप्रैल में केस जरूर बढ़े, लेकिन 15 तारीख के बाद वायरस ने भयावह गति पकड़ ली। इस माह संक्रमण की दर 8.9 फीसद पहुंच गई, जिससे चिकित्सा व्यवस्था चरमरा गई। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में कई बार संक्रमण की दर 40 फीसद भी पहुंच गई। मई के पहले सप्ताह में 22 फीसद से ज्यादा संक्रमण मिल रहा है। जयभीमनगर, पल्हेड़ा, कसेरूबक्सर, राजेंद्र नगर, दौराला, सरधना, कंकरखेड़ा व सदर समेत दर्जनों स्थानों पर वायरस का विस्फोट हो गया है। पिछली लहर में जून एवं सितंबर में बड़ी संख्या में मरीज मिले थे। लेकिन उससे कई गुना मरीज मई में मिल चुके हैं।
सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने कहा- इसमें कोई दोराय नहीं कि यह पहले वाला वायरस नहीं है। भारत में महाराष्ट्र व हैदराबाद में अलग स्ट्रेन मिले हैं। दिल्ली में भी ऊंची संक्रमण की दर म्यूटेटेड वायरस का प्रमाण है। मेरठ में ब्रिटेन का वायरस तो मिला था, लेकिन यह संक्रमित नहीं हो पाया। माइक्रोबायोलोजी लैब से जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए सैंपलों को पुणे स्थित एनआइवी भेजने के लिए कहा गया है। संभव है कि यह कोई विदेशी वैरिएंट हो।
इम्युनोलाजिस्ट डा. संदीप ग्रोवर ने कहा- यहां यूके ही नहीं, भारतीय वैरिएंट भी संक्रमित हो रहा होगा। इस लहर में बड़ी संख्या में युवा मरीजों की जान गई। जीनोम सीक्वेंसिंग की बेहद जरूरत है। गांवों में बड़ी संख्या में लोग संक्रमित हैं, जो टेस्ट नहीं कराते। इसलिए भी बीमारी बढ़ी। साइटोकाइन स्टार्म, निमोनिया व थ्रंबोसिस जल्द बन रहा है, जो मौत की बड़ी वजह है।
माह सैंपलों की जांच मरीज संक्रमण दर
मार्च 110805 437 0.4
अप्रैल 228866 20314 8.9
आठ मई तक 49163 9526 19.4