CoronaVirus News: वायरस का बदलता रंग, अब नाक व गले में नहीं, फेफड़े के अंदर छिपा मिल रहा कोरोना

कोरोना वायरस आरटी-पीसीआर जांच को चकमा दे रहा है। ऐसे में नई प्रकार की जांचों से वायरस को पकड़ा जा रहा है। कई मरीजों की आरटी-पीसीआर जांच निगेटिव मिली लेकिन ब्रांकोस्कोपी कर फेफड़े की जांच की गई तो वहां कोरोना वायरस छुपा था।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 10:28 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 10:28 AM (IST)
CoronaVirus News: वायरस का बदलता रंग, अब नाक व गले में नहीं, फेफड़े के अंदर छिपा मिल रहा कोरोना
कोरोना वायरस का अब रूप बदलता जा रहा है।

[संतोष शुक्ल] मेरठ। कोरोना का वायरस छलिये का किरदार अख्तियार कर चुका है। वायरस आरटी-पीसीआर जांच को चकमा दे रहा है। ऐसे में नई प्रकार की जांचों से वायरस को पकड़ा जा रहा है। कई मरीजों की आरटी-पीसीआर जांच निगेटिव मिली, लेकिन ब्रांकोस्कोपी कर फेफड़े की जांच की गई तो वहां कोरोना वायरस छुपा था। पहले पांच से सात दिनों में वायरस निमोनिया बना रहा था, वहीं अब एक से तीन दिन में फेफड़ों में धब्बा बन जाता है। वायरस को पकड़ने के लिए मरीजों में इन्फ्लामेट्री मार्करों की जांच की जा रही है।

कोरोना संक्रमण का चक्र 14 दिनों का माना जाता है। चिकित्सकों के मुताबिक कोरोना में म्यूटेशन की वजह से आरटी-पीसीआर जांच कई बार वायरस को पकड़ नहीं पाती है। मरीजों में छाती में दर्द, बुखार, सांस फूलने, खांसी समेत सभी लक्षण उभरते हैं, किंतु जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही है, लेकिन जब इन्हीं मरीजों की छाती का एक्स-रे व सीटी स्कैन जांच कराई जा रही है तो फेफड़ों में रुई के साइज के धब्बे मिल रहे हैं। यह कोरोना संक्रमण का बड़ा लक्षण माना जाता है। सांस फूलने वाले मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आने पर डाक्टरों ने ब्रांकोस्कोपी की मदद लेनी शुरू कर दी है। सांस की नली में ट्यूब डालकर फेफड़े के अंदरुनी भाग में जमा फ्लूड की जांच की जा रही है, जिसमें कई पाजिटिव मिल रहे हैं। डाक्टरों ने बताया कि वायरस अब गला व नाक को छोड़कर फेफड़ों में कालोनी बना रहा है, जो बेहद खतरनाक संकेत हैं।

आरटी-पीसीआर जांच निगेटिव, पर फेफड़े के फ्लूड में वायरस, छाती की सीटी में मिल रहे धब्बे, बढ़ा मिल रहा सीआरपी-फर्टििनन

रिपोर्ट निगेटिव तो ये जांचें देती हैं जानकारी

छाती की सीटी जांच, जिसमें फेफड़ों में धब्बा का पता लग जाता है

डी-डाइमर टेस्ट : यह ब्लड टेस्ट है। शरीर के अंगों में थक्का बनने की जानकारी देता है। यह 0.5 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा नहीं होना चाहिए।

सीआरपी: इसे सी री-एक्टिव प्रोटीन कहा जाता है। यह लिवर में बनता है। शरीर में संक्रमण का संकेतक है। दस से कम होना चाहिए। 100 मिलीग्राम प्रति लीटर से ज्यादा तो खतरनाक

फेरिटिन: सीरम फेरिटिन एक प्रोटीन है, जो आयरन से जुड़कर उसे जमा करता है। खून में जमा आयरन का पता चलता है। इसकी वैल्यू 500 से ज्यादा मिलने का मतलब है कि शरीर में गंभीर संक्रमण चल रहा है।

इंटरल्यूकिन-6: यह भी शरीर में संक्रमण व साइटोकाइन स्टार्म सूजन की जानकारी देता है।

सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डा. अमित अग्रवाल ने कहा- पहले पांच से सात दिन में तो अब वायरस दो दिन में ही निमोनिया बना देता है। कई बार बुखार पांच दिनों तक टिक रहा है। ब्रांकोस्पकोपी से लंग्स के अंदर का पानी जांचें तो कोरोना मिल सकता है। डायरिया, चकत्ते व शरीर में चिकनगुनिया जैसा दर्द नए लक्षण हैं। बेहद सावधानी बरतने की जरूरत है।

सांस व छाती रोग विशेषज्ञ डा. वीएन त्यागी ने कहा- कोविड के पूरे लक्षण मिलने के बाद भी आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आए तो छाती की सीटी जांच बेहद जरूरी है। म्यूटेशन की वजह से वायरस चकमा देने में सफल हो रहा है। कई मरीजों के गले व नाक के स्वैब में संक्रमण नहीं मिला पर फेफड़ों के अंदर वायरस की कालोनी बन गई।

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