मेरठ में चार आशा कार्यकर्ताओं में डेल्टा प्लस वैरिएंट की आशंका, जांच के लिए भेजा गया सैंपल
Coronavirus Delta Plus Variant मेरठ में कोरोना की दूसरी लहर पूरी तरह थमी नहीं है कि वायरस के नए रूप यानी डेल्टा प्लस वैरिएंट ने डराना शुरू कर दिया है। बिजौली के एक गांव में चार आशा कार्यकर्ताओं में संक्रमण मिला जिनका सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजा गया है।
मेरठ, जेएनएन। Coronavirus Delta Plus Variant कोरोना की दूसरी लहर पूरी तरह थमी नहीं है कि वायरस के नए रूप यानी डेल्टा प्लस वैरिएंट ने डराना शुरू कर दिया है। बिजौली के एक गांव में चार आशा कार्यकर्ताओं में संक्रमण मिला, जिनका सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए पुणो भेजा गया है।
चिकित्सकों का कहना है कि दूसरी लहर में कोरोना के डेल्टा वायरस ने तबाही मचाई, जिसमें म्यूटेशन से यह डेल्टा प्लस बन गया, जो कई गुना घातक है। स्वास्थ्य विभाग ने मेडिकल कालेज की माइक्रोबायोलोजी लैब के जरिए दो सौ सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए भेजे हैं। सीएमओ डा. अखिलेश मोहन ने बताया कि मेरठ में डेल्टा प्लस वैरिएंट कहीं भी संक्रमित हो सकता है। मेरठ के विभिन्न हिस्सों में मिले मरीजों का सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए नेशनल इंस्टीटयूट आफ पुणो भेजा गया है। मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलोजिस्ट डा. अमित गर्ग का कहना है कि डेल्टा वैरिएंट भारत में पहले से है, लेकिन इसमें बदलाव होना खतरनाक है। यह बदलाव अब डेल्टा प्लस के नाम से जाना जा रहा है। मेडिकल के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डा. अर¨वद का कहना है कि मोनोकोनल एंटीबाडी इस पर काम नहीं करती है। वायरस के स्पाइक प्रोटीन में बदलाव से कोशिकाओं में तेज प्रवेश करता है।
13 मरीज मिले, एक की मौत
कोरोना संक्रमण फिलहाल नियंत्रित नजर आ रहा है। 5544 सैंपलों की जांच में 13 में वायरस मिला है। एक मरीज की कोरोना से मौत हुई है। 41 मरीजों को भर्ती किया गया है, जबकि 67 होम आइसोलेशन में हैं। 160 एक्टिव मरीज हैं। दस मरीज डिस्चार्ज किए गए हैं। वहीं, मेडिकल कालेज में कोरोना के तीन मरीज भर्ती हैं। फंगस वार्ड में दस मरीज भर्ती हैं। ब्लैक फंगस वार्ड के प्रभारी डा. वीपी सिंह ने बताया कि फंगस के मरीज तेजी से कम हो रहे हैं। गंभीर मरीज भी ठीक होकर डिस्चार्ज हुए।
क्या है डेल्टा प्लस
कोरोना वायरस में बदलाव से डेल्टा वैरिएंट यानी बी.1.617.2 बना। अब इसके स्पाइक प्रोटीन में नए सिरे से बदलाव हुआ है, जिससे यह बी.1.617.2.1 कहलाता है। यह 30 सेकेंड के संपर्क में ही संक्रमित हो सकता है। डेल्टा से सात गुना घातक व वैक्सीन से बेअसर माना जा रहा है।