Black Fungus Infection: आक्सीजन पाइपलाइन से भी संक्रमित हो रहे ब्लैक फंगस के मरीज, जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ
Black Fungus Infection ब्लैक फंगस महज स्टेरायड की ओवरडोज और अनियंत्रित शुगर से ही नहीं हो रहा बल्कि इसके पीछे आक्सीजन पाइपलाइन की गंदगी भी जिम्मेदार है। ब्लैक फंगस ज्यादातर उन्हीं मरीजों में मिल रहा है जो आक्सीजन सपोर्ट पर रहे।
[संतोष शुक्ल] मेरठ। Black Fungus Infection: ब्लैक फंगस महज स्टेरायड की ओवरडोज और अनियंत्रित शुगर से ही नहीं हो रहा, बल्कि इसके पीछे आक्सीजन पाइपलाइन की गंदगी भी जिम्मेदार है। ब्लैक फंगस ज्यादातर उन्हीं मरीजों में मिल रहा है जो आक्सीजन सपोर्ट पर रहे। मरीज को नम आक्सीजन देने के लिए प्रयोग किए जाने वाले ह्यूमिडीफायर में फंगस बन सकता है। एंटी सेप्टिक विलयन से इसकी नियमित सफाई करनी चाहिए लेकिन आइसीयू बेडों पर मरीजों की भीड़ और होम आइसोलेशन में आक्सीजन सपोर्ट देने से भी ब्लैक फंगस का प्रकोप बढ़ा है।
नमी पाते ही बढ़ता है फंगस
मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. लोकेश बताते हैं कि इम्युनोसप्रेशन की दवा लेने, स्टेरायड खाने वाले, आइसीयू में भर्ती रहने एवं अनियंत्रित शुगर के मरीजों में यह ज्यादा देखा गया है। लेकिन मरीजों को आक्सीजन सप्लाई वाली पाइपलाइन को साफ न करने से भी फंगस तेजी से पनपता है। न्यूटिमा अस्पताल के क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ डा. अवनीत राणा बताते हैं कि फंगल संक्रमण से बचने के लिए आक्सीजन के लिए कापर वाली पाइपलाइन का प्रयोग करते हैं फिर भी इसकी नियमित सफाई जरूरी है। इसके लिए एक रजिस्टर बनाया गया है जिसमें रोजाना सफाई का समय मेंटेन होता है। नमी होने पर एल्गी व फंगस होता है। पानी वाले कंटेनर से नम होकर आक्सीजन मरीज तक पहुंचती है, जहां फंगस बनने का खतरा सर्वाधिक है। किडनी ट्रांसप्लांट, कैंसर, टीबी व अन्य गंभीर मरीजों में फंगल संक्रमण का खतरा ज्यादा देखा गया है।
ह्यूमिडीफायर में नमी से भी पनपा फंगस, सफाई जरूरी
फंगस कई प्रकार के हैं लेकिन म्यूकर माइकोसिस ज्यादा खतरनाक है। बेहतर अस्पतालों में कापर पाइपलाइन के जरिए आक्सीजन देते हैं जिसमें संक्रमण की आशंका कम होती है। मरीजों को ड्राई आक्सीजन देना खतरनाक है, इसीलिए नम आक्सीजन देने के लिए पानी का कंटेनर प्रयोग होता है। इसे रोज साफ करना जरूरी है।
डा. अवनीत राणा, क्रिटिकल केयर विशेषज्ञ, न्यूटिमा
होम आइसोलेशन में आक्सीजन सपोर्ट से खतरा
फंगस नाक, बलगम, गमला, मिट्टी एवं वातावरण में रहता है लेकिन बेहद कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को जल्दी पकड़ता है। ब्लैक फंगस के कई मरीज ऐसे मिले जिन्हें घर पर आक्सीजन सपोर्ट दिया गया। यहां पर पानी का कंटेनर साफ नहीं किया और फंगस मरीज की नाक तक जा पहुंचा।
डा. अभिषेक सिंह, ईएनटी विशेषज्ञ