Coronavirus: 87 फीसद मरीजों में ठीक होने के बाद भी मिल रहे लक्षण, घर पहुंचने पर ब्रेन और हार्ट स्ट्रोक संभव

कोरोना से ठीक होकर घर पहुंचने वालों में दो माह तक ब्रेन और हार्ट स्ट्रोक का खतरा बना रहता है वहीं गैर लक्षणों वाले मरीजों में भी तीन माह तक फेफड़ों पर असर देखा गया।

By Prem BhattEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 01:40 PM (IST) Updated:Sun, 09 Aug 2020 01:40 PM (IST)
Coronavirus: 87 फीसद मरीजों में ठीक होने के बाद भी मिल रहे लक्षण, घर पहुंचने पर ब्रेन और हार्ट स्ट्रोक संभव
Coronavirus: 87 फीसद मरीजों में ठीक होने के बाद भी मिल रहे लक्षण, घर पहुंचने पर ब्रेन और हार्ट स्ट्रोक संभव

मेरठ, जेएनएन। लाखों लोगों को संक्रमित करने के बावजूद विज्ञानियों के लिए कोरोना अब भी रहस्य बना हुआ है। कोरोना से ठीक होकर घर पहुंचने वालों में दो माह तक ब्रेन और हार्ट स्ट्रोक का खतरा बना रहता है, वहीं गैर लक्षणों वाले मरीजों में भी तीन माह तक फेफड़ों पर असर देखा गया। कई मरीज घर पहुंचे और हार्ट अटैक से जान चली गई जर्नल आफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक वायरस के पहले लक्षण से 60 दिनों बाद 87 फीसद मरीजों में कम से कम एक लक्षण मिला।

कई लक्षण मिल रहे

कोविड वार्ड से घर पहुंचे कई मरीजों में लकवा, दिल और किडनी की बीमारी, लंग्स में सूजन समेत कई लक्षण मिल रहे हैं। विज्ञानियों ने बताया कि यह वायरस फेफड़ों की कोशिकाओं पर हमला करता है। मेडिकल कालेज के प्रोफेसर डा. टीवीएस आर्य का कहना है कि फेफड़ों में हवा की छोटी-छोटी थैलियां होती हैं। यहीं वायु कोशिकाएं क्षतिग्रस्त मिल रही हैं। इसकी जगह गाढ़ा रेशेदार पदार्थ जगह भर लेता है।

आक्सीजन लेने की क्षमता तेजी से खत्म

इससे फेफड़ों में आक्सीजन लेने की क्षमता तेजी से खत्म होती है और मरीज हाइपोक्सिया में पहुंच सकता है। गंभीर होकर ठीक होने वाले लोगों में लंग्स फाइब्रोसिस यानी फेफड़ों में सूजन पाई जा रही है। फेफडों में घाव के निशान बन जाते हैं। उधर, एडिनबरा विश्वविद्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक ठीक होकर घर पहुंचे गंभीर मरीजों में से 55 फीसद लोगों के हार्ट में दिक्कत पाई गई। संक्रमण से ठीक होने के बाद कई मरीजों में मेमोरी लॉस की भी शिकायत है।

किडनी में इंजरी

मेडिकल कालेज में दर्जनों कोविड मरीजों की डायलसिस कर चुके डा. अरविंद त्रिवेदी ने बताया कि इन मरीजों में यूरिया की मात्रा ज्यादा मिल रही है। यह दवाओं की वजह से भी हो सकता है। सेप्टीसीमिया के मरीजों में किडनी क्षतिग्रस्त मिली। कहा कि ठीक होने वालों में कइयों में सेप्सिस था। साइटोकाइन स्टार्म से भी किडनी को बड़ी क्षति पहुंचती है, जिससे कई अन्य अंग भी फेल हो जाते हैं।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

गंभीर कोरोना संक्रमण मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है। दिल भी मांसपेशी ही है। कई मरीजों में ठीक होने के काफी दिनों बाद हार्ट और ब्रेन के अटैक के लक्षण उभरे। साइटोकाइन स्टार्म, सेप्टीसीमिया और दवाओं के सेवन से कई मरीजों की किडनी इंजर्ड होने से यूरिया बढ़ी। कोविड में बाद के खतरों पर शोध जरूरी है।

डा. टीवीएस आर्य, विभागाध्यक्ष, मेडिसिन विभाग, मेडिकल कालेज 

कोविड मरीजों में ठीक होने के बाद भी लंग्स में फाइब्रोसिस मिल रही है। इसका असर कब तक रहेगा, यह शोध का विषय है। सार्स के मरीजों पर 15 साल के शोध में सामने आया कि एक तिहाई की सांस की क्षमता कम हो गई। जामा न्यूरोलोजी जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक गंभीर मरीजों में से 36 फीसद के मस्तिष्क को क्षति पहुंची।

- डा. वीरोत्तम तोमर, सांस व छाती रोग विशेषज्ञ

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