कोरोना से जंग : जेल की चारदीवारी में फिर बनने लगा कोरोना का रक्षा कवच, तीन दिन में बनाए सात हजार

मेरठ कारागार में तीन दिन में सात हजार मास्क बनाने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। 40 बंदी इस काम में लगे हुए हैं। पिछली बार जिला कारागार से आसपास की जेलों में भी मास्क की सप्लाई हुई थी।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 11:02 PM (IST) Updated:Mon, 19 Apr 2021 08:37 AM (IST)
कोरोना से जंग : जेल की चारदीवारी में फिर बनने लगा कोरोना का रक्षा कवच, तीन दिन में बनाए सात हजार
मेरठ जेल में कैदियों ने बनाए मास्‍क।

मेरठ, [अभिषेक कौशिक]। कोरोना के तेजी से बढ़ने के साथ ही एक बार फिर जिला कारागार में रक्षा कवच तैयार किया जा रहा है। तीन दिन में यहां सात हजार मास्क बनाने का लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। 40 बंदी इस काम में लगे हुए हैं। पिछली बार जिला कारागार से आसपास की जेलों में भी मास्क की सप्लाई हुई थी।

वैश्विक महामारी से हर स्तर पर जंग जारी है। इसमें कारागार के बंदी भी पीछे नहीं है। जेल में मास्क बनाने का काम युद्धस्तर पर जारी है। तीन दिन में 40 बंदियों ने सात हजार मास्क बना लिए हैं, जबकि 12 से 15 हजार मास्क बनाकर रिजर्व में रखे जाएंगे। सूती कपड़े से बने मास्क में तीन लेयर हैं। इन्हें भाप से सैनिटाइज कर पैक किया जाता है। दिनभर में एक बंदी करीब 100-125 मास्क तैयार कर रहा है। इसके लिए प्रति मास्क बंदी को एक रुपया भी मिलता है।

पिछले वर्ष कारागार में तैयार हुए मास्क बागपत और गौतमबुद्धनगर के अलावा अन्य जेलों में भी भेजे गए थे। एक लाख से अधिक मास्क मेरठ जिला प्रशासन को भी वितरित करने के लिए उपलब्ध कराए गए थे।

जरूरत पड़ी तो तीन दिन में 10 हजार भी

वरिष्ठ जेल अधीक्षक बीडी पांडेय ने बताया कि बंदियों को माल जेल प्रशासन की ओर से दिया जाता है। सभी बंदियों का काम बंटा हुआ है। कोई काटने का काम करता है, तो कोई सिलने का। इसी तरह भाप से (आटो क्लेव) करीब 20 मिनट तक सैनिटाइज करने वाले अलग बंदी हैं। जरूरत पडऩे पर तीन दिन में 10 हजार मास्क तैयार किए जा सकते हैं। एक मास्क बनाने में करीब सात से आठ रुपये की लागत आती है। इस मास्क को धोकर बार-बार इस्तेमाल किया जा सकता है।

खुद का सैनिटाइजर भी बना रहे

वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने बताया कि जेल में सैनिटाइजर भी बनाया जा रहा है। दौराला शुगर मिल से आइसो प्रोपाइल एल्कोहल ले लिया था। इसके बाद विशेषज्ञ की मदद से अन्य सामान मिलाकर सैनिटाइजर को तैयार किया जा रहा है। कैदी-बंदी से लेकर अफसर और कर्मचारी भी उसी सैनिटाइजर का इस्तेमाल करते हैं। 

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