‘मिले खाक में नौजवां कैसे-कैसे, जमीं खा गई आसमां कैसे-कैसे’, आंखें नम हैं और दिल द्रवित

कोरोना ने एक सप्ताह में लील ली कई जानी-मानी हस्तियां। चिकित्सक शिक्षक साहित्यकार भी चढ़ गए मौत की भेंट। पिछले सात दिनों में संक्रमण ने मुजफ्फरनगर जिले को जो जख्म दिया है उसे भरने में काफी वक्त लगेगा।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Tue, 04 May 2021 06:32 PM (IST) Updated:Tue, 04 May 2021 06:32 PM (IST)
‘मिले खाक में नौजवां कैसे-कैसे, जमीं खा गई आसमां कैसे-कैसे’, आंखें नम हैं और दिल द्रवित
कोरोना ने एक सप्ताह में लील ली कई जानी-मानी हस्तियां।

मुजफ्फरनगर, [राशिद अली]। ‘मिले खाक में नौजवां कैसे-कैसे, जमीं खा गई आसमां कैसे-कैसे’ मो. रफी के गाए इस गीत के गर्त में कोरोना वायरस संक्रमण की आह छिपी है। पिछले सात दिनों में संक्रमण ने जिले को जो जख्म दिया है, उसे भरने में काफी वक्त लगेगा। चिकित्सक, शिक्षक, साहित्यकार, पत्रकार, राजनीतिज्ञ, प्रशासक सहित विभिन्न व्यवसाय से जुड़ी कई नामचीन हस्तियां असमय काल के गाल में समा गईं। उनकी मौत पर जिले के लोगों की आंखें नम हैं और दिल द्रवित।

सुख-दुख में साथ रहने वालों को कैसे भूल पाएंगे

कोरोना का यह दौर भी गुजर जाएगा लेकिन संक्रमण की भेंट चढ़ने वाले जिला अस्पताल के डेंटल सर्जन डा. संजय को कैसे भूल पाएंगे। अंबा विहार में रहने वाले सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर मुसर्रत हुसैन ने सरकारी नौकरी भी लोगों की मदद करते पूरी की। असमय मौत ने उन्हें लील लिया। चार दशक तक फोटो पत्रकारिता करने वाले राशिद खान की मौत भी समाज के लिए बड़ी क्षति है। मोरना क्षेत्र के प्रसिद्ध इतिहासकार, समाजसेवी डा. हरपाल पंवार को भी कोरोना ने असमय लील लिया। उनकी कमी शायद कभी पूरी हो पाए। नगर पालिका कन्या इंटर कालेज की शिक्षिका प्रतिभा रानी शर्मा व पालिका सभासद विपुल भटनागर की माता विजय लक्ष्मी भटनागर ने भी कोरोना से जूझते हुए दुनिया को अलविदा कहा।

हर आंख को नम कर गई बिलाल की असमय मौत

अपनी सुरीली आवाज से माहौल को हमेशा खुशनुमा बनाने वाले 24 साल के नौजवान बिलाल कुरैशी को आसपास के लोग कैसे भुला पाएंगे। खालापार के बिलाल को बुखार आया तो भी वह लोगों की सेवा में जुटा था। पाजिटिव आने पर एकांतवास से उसके कंठ से कव्वाली की आवाज फूटती रही लेकिन अचानक ही मौत के एक झपट्टे से बिलाल की आवाज बंद हो गई। मौत का खेल यहीं नहीं रुका। कोरोना की इस लहर में मुख्य कोषाधिकारी सतीश कुमार, डा. रफी अंसारी, मा. शराफत खां भी जिंदगी की जंग हार गए।

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