Corona Effect: मेरठ में सिवाया टोल प्‍लाजा पर दिखा कोरोना का असर,12 हजार वाहनों की आई कमी

कोरोनावायरस का असर हर क्षेत्र में दिख रहा है। यहां मोदीपुरम में हाईवे-58 स्थित सिवाया टोल प्लाजा भी इससे अछूता नहीं है। अन्य दिनों की अपेक्षा वर्तमान में टोल प्लाजा से निकले वाले वाहनों में 11 से 12 हजार की कमी दर्ज की गई है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 10:00 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 10:00 PM (IST)
Corona Effect: मेरठ में सिवाया टोल प्‍लाजा पर दिखा कोरोना का असर,12 हजार वाहनों की आई कमी
कोरोनासंकट में टोल प्‍लाजा पर भी वाहनों की कमी आई है।

मेरठ, जेएनएन। Corona Effect मेरठ में कोरोना काल की वजह से लगे लाकडाउन का चारों ओर असर देखा जा रहा है। वहीं मोदीपुरम में हाईवे-58 स्थित सिवाया टोल प्लाजा भी इससे अछूता नहीं है। अन्य दिनों की अपेक्षा वर्तमान में टोल प्लाजा से निकले वाले वाहनों में 11 से 12 हजार की कमी दर्ज की गई है। जबकि महज 4 से 5 हजार वाहन ही टोल प्लाजा को पार कर रहे हैं। जबकि लाकडाउन से पहले तक वाहनों के निकलने का यह आंकड़ा 16 से 17 हजार तक था।

संख्‍या सिमट कर रह गई

सिवाया टोल प्लाजा पर 12 लेन हैं, जो सभी फास्टैग हैं। दोनों साइड की छह-छह लेन से सामान्य दिनों में 24 घंटे के भीतर 16 से 17 हजार वाहन टोल प्लाजा से गुजरते थे। मगर, पिछले बीस दिनों से कोरोना का बढ़ता दायरा होने से वाहनों का यह आंकड़ा वर्तमान में 3 से 5 हजार वाहनों तक ही सिमट कर रह गया है। निजी वाहन समेत अन्य अधिकांश वाहन पूरी तरह से बंद चुके हैं। वहीं हाईवे से गुजरने वाले मालवाहक वाहन ही उत्तराखंड़ आ जा रहे हैं।

इमरजेंसी वाहन ही गुजर रहे

इनके अलावा इमरजेंसी में कुछ निजी वाहन ही टोल से गुजर रहे हैं। वाहनों की घटती संख्या और कोरोना संक्रमण बढ़ने से टोल प्लाजा प्रबंधन ने भी ड्यूटी पर कर्मचारियों की पचास फीसदी संख्या ही रखी है। प्रत्येक कर्मचारी और अधिकारी की एक महीने में 15 दिन ही ड्यूटी लग रही है। वरिष्ठ प्रबंधक प्रदीप चौधरी ने बताया कि कोरोना काल में लगे लाकडाउन से प्रत्येक 24 घंटे में 11 से 12 हजार वाहनों की कमी आई है। मगर, सभी सुरक्षित रहें, संख्या तो बाद में भी बढ़ जाएगी।

एंबुलेंस के सायरन की आवाज से फट जाता है कलेजा

टोल प्लाजा के वरिष्ठ प्रबंधक प्रदीप चौधरी, प्रबंधक अनुज सोम आदि का कहना है कि टोल प्लाजा पर दिन-रात एंबुलेंस मरीजों को लेकर निकलती रहती हैं। एंबुलेंस की आवाज सुनकर मानों कलेजा फट जाता है। कहते हैं कि सांसों को बचाने में तो अब बस भगवान का ही सहारा है।

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