एक पल के लिए भी साफ हवा नसीब नहीं

चार दिन में प्रदूषण के चार रंग। हवा का मिजाज कभी संभला तो कभी बिगड़ा। पर मंगलवार को हवा बेरहम साबित हुई। 24 घंटे में एक क्षण के लिए भी साफ हवा नहीं चली।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 20 Nov 2019 04:00 AM (IST) Updated:Wed, 20 Nov 2019 06:06 AM (IST)
एक पल के लिए भी साफ हवा नसीब नहीं
एक पल के लिए भी साफ हवा नसीब नहीं

मेरठ, जेएनएन। चार दिन में प्रदूषण के चार रंग। हवा का मिजाज कभी संभला तो कभी बिगड़ा। पर मंगलवार को हवा बेरहम साबित हुई। 24 घंटे में एक क्षण के लिए भी साफ हवा नहीं चली। विशेषज्ञ दावा करते हैं कि माहभर में एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा। चिकित्सकों की मानें तो 24 घंटे में दर्जनभर सिगरेट का धुआं फेफड़ों तक पहुंचा।

तीन दिन पहले हवा की गति 22 किमी प्रति घंटा की गति से चली तो प्रदूषण भी उड़ा ले गई। दो दिन की साफ हवा ने तसल्ली दी थी कि मंगलवार को हवा ने पूरी तरह मुंह मोड़ लिया। सुबह चार बजे से रात दस बजे तक पीएम2.5 का स्तर लगातार मानक से चार गुना रहा। गंगानगर में सुबह नौ बजे पीएम2.5 की मात्रा 305 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर मिला। दोपहर 12 बजे इसकी मात्रा 368 पर पहुंचा देखकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी दंग रह गए। दिनभर खराब हवा रहने के बाद रात नौ बजे पीएम2.5 का स्तर 414 माइक्रोग्राम दर्ज किया गया। जयभीमनगर में रात नौ बजे एक्यूआई 306 मिला, जबकि पीएम2.5 का स्तर 195 से कम नहीं हुआ। पल्लवपुरम में हवा की सेहत सबसे खराब मिली। यहां पर रात नौ बजे एक्यूआई का स्तर 337 मिला। पीएम2.5 का स्तर नौ बजे 418 पर पहुंच गया। पश्चिमी उप्र के सभी जिलों में प्रदूषण के फंदे में फंसी हवा कराहती मिली। नई दिल्ली, गाजियाबाद, नोएडा, बागपत, बुलंदशहर व हापुड़ में भी हवा का मिजाज बिगड़ा मिला।

ये हैं प्रदूषण के बड़े कारक

-औद्योगिक चिमनियां, भवनों का अंधाधुंध निर्माण, उखड़ी सड़कें, कचरों का दहन, लकड़ी दहन, वाहनों की भीड़, गिरता तापमान व हवा की धीमी रफ्तार।

ये रही हवा की सेहत

स्थान एक्यूआई

गाजियाबाद, लोनी 339

संजयनगर गाजियाबाद 361

बागपत 318

मेरठ, पल्लवपुरम 337

नोएडा-62 281

ग्रेटर नोएडा-नालेज पार्क 302

कानपुर 313

लखनऊ 270

इनका कहना है.......

प्रदूषण में बार-बार उतार चढ़ाव से एलर्जी, रानाइटिस, छींक, सांस फूलने, खांसी, बलगम और आंखों में जलन के लक्षण उभरते हैं। फेफड़ों की ताकत परखने के लिए जांच कराएं। इस प्रदूषण से बचने के ज्यादा उपाय नहीं हैं, क्योंकि इन्डोर प्रदूषण भी तकरीबन इतना ही हानिकारक है।

डा. संतोष मित्तल, चेस्ट फिजीशियन, मेडिकल कालेज

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