सिनेमा का सपना सिनेमाहाल में साकार
सिनेमाघर में फिल्म देखने का अनुभव बयां नहीं किया जा सकता सिर्फ महसूस कर सकते हैं।
मेरठ, जेएनएन। सिनेमाघर में फिल्म देखने का अनुभव बयां नहीं किया जा सकता, सिर्फ महसूस कर सकते हैं। लाकडाउन के दौरान सिनेमा हाल बंद रहे और फिल्म के शौकीनों को मन मसोसकर टीवी या मोबाइल स्क्रीन का सहारा लेना पड़ा। अब जैसे ही सिनेमा की खिड़की खुली, शौकीन लोग खुद को रोक नहीं सके। भले ही थियेटर की अधिकतर सीटें खाली रहती हैं, लेकिन फिल्मी दीवानों के लिए यह अनुभव मुंहमांगी मुराद की तरह है। बुधवार को सिनेमा हाल में फिल्म देखने पहुंचे कुछ लोगों से हमने उनकी मन की बात जानी।
अलग ही अहसास रहा
भीड़ में फिल्म देखने का अलग आनंद है। लेकिन मैं यह सोचता था कि कभी ऐसा हो जाए कि हाल में अकेले बैठकर फिल्म देखने का मौका मिले। ऐसा फिल्मों में देखा था कि बड़े लोग पूरा हाल बुक कराकर फिल्म देखते हैं। कोरोना काल में मैंने इसका अनुभव कर लिया।
-जुनैद, सिनेप्रेमी
हमें ही देनी होगी सिनेमा को रफ्तार
सिनेमा ने हमेशा हमारा साथ दिया है। जब हम उदास होते हैं, तो सिनेमा हमारा सबसे अच्छा दोस्त बन जाता है। कभी-कभी परिस्थितियों से लड़ने की प्रेरणा भी हमें सिनेमा से मिलती है। हमें इस समय आगे बढ़कर सिनेमा को संभालना होगा जिससे एक बार फिर वह अपनी पुरानी रफ्तार पकड़ सके।
-दीपक, फिल्म दर्शक