मुख्यमंत्रीजी, कसने होंगे व्यवस्था के पेच
मेरठ में कोरोना संक्रमण और मृत्यु की रफ्तार काबू में नहीं आ रही है।
मेरठ,जेएनएन। मेरठ में कोरोना संक्रमण और मृत्यु की रफ्तार काबू में नहीं आ रही है। अप्रैल के अंतिम पखवाड़े से मई के पहले सप्ताह तक शहर ने खूब झेला है। कहीं आक्सीजन के अभाव में मरीज ने दम तोड़ा तो कहीं बेड की खातिर अस्पताल की चौखट घूमते-घूमते मरीजों ने दम तोड़ दिया। हालांकि, पिछले कुछ दिनों से स्थिति की भयावहता कम हुई है, लेकिन अब भी व्यवस्था की कमी से जनता की दिक्कतें पूरी तरह से दूर नहीं हुई है।
मेरठ में अब आक्सीजन की मांग पहले की तुलना में घट चुकी है। अस्पताल के बेड भी खाली मिलने लगे हैं फिर भी मरीज का भटकना बंद नहीं हो रहा है। रोजाना मेडिकल कालेज में दाखिले के लिए भटकते लोग और उनकी समस्या के समाधान की कोई कोशिश न होना अब भी अप्रियकर सूचनाओं का कारण बन रहा है। कोरोना संक्रमण अभी पूरी तरह से काबू में आया भी नहीं है कि ब्लैक फंगस ने सूबे में सबसे अधिक मेरठ पर चोट की है। इससे लड़ने के लिए आवश्यक दवाओं की कमी को प्रशासन आज भी पाट नहीं पा रहा है। रेमडेसिविर से लेकर कोरोना की सामान्य दवाओं की उपलब्धता का संकट आज भी बना हुआ है। अब गांवों के हालात दिनोंदिन बेकाबू हो रहे हैं। संक्रमितों का इलाज और संभावितों की जांच आज भी ऊंट के मुंह में जीरा समान ही है। ये वो दिक्कतें हैं, जिन्हें व्यवस्था के जरिए दूर किया जा सकता है। संसाधनों का सही दिशा में इस्तेमाल और मरीजों-तीमारदारों की दिक्कतों के निराकरण की जवाबदेही जब तक जिम्मेदारों पर तय नहीं होगी, हालात काबू में नहीं आएंगे।
मुख्यमंत्री जी, आज आपके समक्ष रखे जाने वाले आंकड़े खुद ही बता देंगे कि पश्चिमी उप्र की राजधानी के रूप में पहचाने जाने वाले मेरठ की कोरोना ने कितनी फजीहत की है। इसी माह के दो सप्ताह में लगभग 18 हजार नए केस और सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 149 मौतें (सही आंकड़ा कहीं ज्यादा है) साबित करते हैं मेरठ ने कितना सहा है। उम्मीद है, आपके दौरे से हालात सुधरेंगे, व्यवस्था सेवा को समर्पित होगी।