Chaudhary Charan Singh: चौधरी साहब की जयंती पर 23 दिसंबर को सम्मानित होंगे परंपरागत खेती करने वाले किसान
Chaudhary Charan Singh शासन की ओर से यह कदम प्रोत्साहन देने वाला है। सभी मंडलायुक्तों जिलाधिकारियों और कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि अपने-अपने यहां भव्य किसान सम्मान दिवस का आयोजन करें। इसके लिए तैयारियां शुरू होंगी।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Chaudhary Charan Singh पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती 23 दिसंबर के अवसर पर किसान सम्मान दिवस का आयोजन किया जाएगा। बीते वर्ष की तरह इस बार भी शासन ने सभी मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों और कृषि विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया है कि अपने-अपने यहां भव्य किसान सम्मान दिवस का आयोजन करें। किसान सम्मान दिवस राज्य, जिला और विकास खंड स्तर पर आयोजित होगा।
बचाए हुए हैं वजूद को
यह उन माटी पुत्रों के लिए भी अच्छी खबर है, जो इस मशीनरी युग में परंपरागत खेती का वजूद बचाए हुए हैं। ऐसे सभी किसान 23 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर आयोजित समारोह में सम्मानित होंगे। शासन से आदेश मिलने के बाद अधिकारियों ने किसानों के चयन की प्रक्रिया शुरू कर दी है। किसान सम्मान दिवस पर परंपरागत खेती में महती भूमिका निभाने वाले ऐसे किसान सम्मानित किए जाएंगे, जिन्होंने कृषि विविधिकरण अथवा औद्यानिक खेती के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम किया है।
अधिकारी भी सम्मानित होंगे
उद्यान, डेयरी, पशुपालन और शाक-भाजी उत्पादन में विशेषज्ञता रखने व प्रदर्शित करने वाले किसानों को भी सम्मानित किया जाएगा। जैविक एवं प्राकृतिक खेती, कृषक उत्पादक संगठन और मिशन शक्ति के तहत कृषि एवं एलाइड सेक्टर में उल्लेखनीय कार्य करने वाली महिला किसानों को भी राज्य और जिला स्तरीय पुरस्कार प्रदान किया जाएगा। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों तथा पराली प्रबंधन करने वाले अधिकारी भी सम्मानित होंगे। सरकार की स्पष्ट मंशा है कि किसानों को प्रोत्साहित कर उनके उत्पादन और आमदनी को बढ़ाया जाए।
किसान चयन की प्रक्रिया शुरू
सीडीओ शशांक चौधरी ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती को किसान सम्मान दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन परंपरागत खेती करने वाले किसानों को सम्मानित किया जाएगा, कृषि उप निदेशक को पात्र किसानों के चयन का निर्देश दे दिया है। किसान सम्मान दिवस पर जिला व ब्लाक मुख्यालय पर समारोह होंगे, जिनमें सौ से अधिक प्रगतिशील किसानों, गन्ना किसानों, परंपरागत खेती करने वाले, महिला किसानों और मत्स्य पालकों को सम्मानित करने के लिए चयन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
परंपरागत खेती
प्रकृति आधारित इस विधि को परंपरागत खेती कहते हैं। इसमें वर्षा जल, देसी एवं स्थानीय बीजों, गोबर की खाद और परंपरागत कृषि यंत्रों जैसे हल-बैल, खुरपी, फावड़ा आदि का इस्तेमाल किया जाता है।