Ajit Singh स्मृति शेष : सात बार बागपत से सांसद बने चौधरी अजित सिंह, जानिए इनके राजनीतिक सफर के उतार चढ़ाव

राष्‍ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह का गुरुवार को कोरोना से निधन हो गया। अमेरिका से कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखने वाले अजित सिंह एक बार राज्यसभा सदस्य व सात बार बागपत से लोकसभा सदस्य रहे।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 10:19 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 11:39 PM (IST)
Ajit Singh स्मृति शेष : सात बार बागपत से सांसद बने चौधरी अजित सिंह, जानिए इनके राजनीतिक सफर के उतार चढ़ाव
रालोद नेता अजित सिंह ने राजनीति के सफर में तमाम उतार चढ़ाव देखे।

बागपत, जेएनएन। किसानों के दिलों पर राज करने वाले राष्‍ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। अमेरिका से कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर राजनीति में कदम रखने वाले अजित सिंह एक बार राज्यसभा सदस्य व सात बार बागपत से लोकसभा सदस्य रहे। पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह के पुत्र चौधरी अजित सिंह का जन्म मेरठ के तत्कालीन भदौला गांव (अब बुलंदशहर में) 12 फरवरी 1939 को हुआ था। लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीएससी, आइआइटी खडग़पुर से बीटेक और अमेरिका के इलिनोयस इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी से एमएस (मास्टर आफ साइंस) करने के बाद उन्होंने वहीं आइबीएम कंपनी में कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी की। वर्ष 1986 में अपने पिता चौधरी चरण सिंह के बीमार होने पर नौकरी छोड़कर अमेरिका से भारत लौट आए।

तब बना ली थी अलग पार्टी

अजित सिंह 1986 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बने और 1987 में उन्होंने लोकदल (अजित) नाम से अलग पार्टी बनाई। हालांकि एक वर्ष बाद ही लोकदल (अजित) का जनता पार्टी के साथ विलय कर दिया। चौधरी अजित सिंह इस दल के अध्यक्ष बनाए गए। जब जनता पार्टी, लोकदल और जनमोर्चा के विलय के साथ जनता दल का गठन हुआ, तब चौ. अजित सिंह ही इसके मुख्य महासचिव चुने गए। विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार में चौधरी अजित सिंह 1989-90 तक केंद्रीय उद्योग मंत्री रहे। वर्ष 1991 के बागपत से सांसद बने। इसके बाद वह पीवी नरसिंह राव के कार्यकाल में वर्ष 1995-1996 तक खाद्य व रसद मंत्री रहे।

हार का सामना भी किया

सन 1996 में कांग्रेस के टिकट पर जीतने के बाद वह लोकसभा सदस्य बने लेकिन सन 1997 में लोकसभा और कांग्रेस से इस्तीफा देकर अजित सिंह ने भारतीय किसान कामगार पार्टी का गठन किया। अगले उपचुनावों में वह इसी दल के प्रत्याशी के तौर पर बागपत निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीते। वर्ष 1998 में उन्हें बागपत लोकसभा सीट पर भाजपा के सोमपाल शास्त्री के सामने हार का मुंह देखना पड़ा। वर्ष 1999 में चौ. अजित सिंह राष्ट्रीय लोकदल का गठन कर इसी साल बागपत से लोकसभा का चुनाव लड़कर संसद पहुंचे। वर्ष 2001 से 2003 तक अटल बिहारी की सरकार को समर्थन दिया और केंद्रीय कृषि मंत्री बने। वर्ष 2002 में भाजपा के गठबंधन के साथ विधानसभा चुनाव लड़ा।

एनडीए का हिस्‍सा बने थे

इसके बाद अजित सिंह ने अपनी पार्टी को भाजपा और बसपा के गठबंधन में शामिल कर लिया, लेकिन भाजपा और बसपा के अलग होने से कुछ समय पहले ही अजित सिंह ने अपनी पार्टी को बसपा से अलग कर लिया, जिससे बसपा सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई। मुलायम सिंह यादव के सत्ता में आने के साथ अजित सिंह ने वर्ष 2007 तक उन्हें समर्थन दिया मगर किसान नीतियों में मतभेद के चलते समर्थन वापस ले लिया। वर्ष 2009 के चुनाव में एनडीए के घटक के तौर पर चुनाव लड़कर सांसद बने। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में बागपत लोकसभा सीट से कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा के डा. सत्यपाल सिंह ने उन्हें हरा दिया। वर्ष 2019 का चुनाव सपा-बसपा गठबंधन में मुजफ्फरनगर सीट से लड़ा, लेकिन भाजपा नेता संजीव बालियान ने उन्हें हरा दिया। फिलहाल त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में रालोद ने शानदार वापसी की। बागपत में पार्टी समर्थित नौ जिला पंचायत सदस्यों ने जीत हासिल की है।

यह भी जानें

बागपत के सांसद अजित

वर्ष

-1989

-1991

-1996

-1997

-1999

-2004

-2009

लोकसभा चुनाव में मिली हार

वर्ष

- 1998

- 2014

- 2019

मंत्री के रूप में अजित सिंह

वर्ष मंत्रालय

1989 से 90 : उद्योग मंत्री

1995 से 96 : खाद्य मंत्री

2001 से 03 : कृषि मंत्री

2011 से 14 : नागरिक उड्डयन। 

chat bot
आपका साथी