डेंगू-मलेरिया के हाई रिस्क एरिया का सर्वे करेगी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम

शहर में डेंगू-मलेरिया समेत वेक्टर जनित रोगों के वाहक मच्छर की स्थिति किन क्षेत्रों में हाई रिस्क वाली है इसी का सर्वे करने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम आएगी।

By Ashu SinghEdited By: Publish:Wed, 24 Apr 2019 11:44 AM (IST) Updated:Wed, 24 Apr 2019 11:44 AM (IST)
डेंगू-मलेरिया के हाई रिस्क एरिया का सर्वे करेगी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम
डेंगू-मलेरिया के हाई रिस्क एरिया का सर्वे करेगी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम
मेरठ,जेएनएन। मेरठ में डेंगू-मलेरिया समेत वेक्टर जनित रोगों के वाहक मच्छर की स्थिति किन क्षेत्रों में हाई रिस्क वाली है। यह परखने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय से चार सदस्यीय टीम मेरठ से आ रही है। यह टीम अलग-अलग क्षेत्रों में मच्छरों की स्थिति का सर्वे करेगी। सर्वे रिपोर्ट के आधार पर वेक्टर जनित रोगों से निपटने के लिए आगे प्लान तैयार किया जाएगा।
पश्चिमी उप्र में बड़ी संख्या में मामले
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) चलाया जा रहा है। बीते वर्ष डेंगू-मलेरिया के केस पश्चिमी उप्र से बड़ी संख्या में सामने आए थे। जिसे देखते हुए केंद्र सरकार के निर्देश पर राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के दिल्ली स्थित कार्यालय से मलेरिया इंस्पेक्टर अनिल नेगी, कीट विशेषज्ञ धीरेंद्र सिंह, सुरेश कुमार और अनवार अली अख्तर की टीम तीन दिवसीय दौरे पर आ रही है।
तीन जिलों में होगा सर्वे
24 से 26 अप्रैल के बीच टीम को मेरठ, गाजियाबाद और मुजफ्फरनगर में सर्वे करना है। विशेष रूप से प्रशिक्षित और मच्छरों के अध्ययन को उपकरणों की किट से लैस यह टीम मेरठ में इस बात का अध्ययन करेगी कि मच्छरों का घनत्व किस क्षेत्र में अधिक है। लार्वा कहां पनप रहा है। किस बीमारी को फैलाने वाले मच्छर मौजूद हैं। जैसे डेंगू, मलेरिया,चिकनगुनिया,फाइलेरिया रोग फैलाने वाले मच्छरों के किससे आगे खतरा अधिक है। मच्छरों की प्रवृत्ति कैसी है। यह अध्ययन करने के लिए टीम मच्छरों को पकड़ेगी। रिपोर्ट तैयार करेगी। यह रिपोर्ट केंद्र को सौंपी जाएगी। इसके आधार पर मच्छरों की रोकथाम और रोगों से लोगों को बचाने का प्लान बनेगा।
वर्ष 2018 में 153 डेंगू के मामले
मालूम हो कि वर्ष 2018 में मेरठ में डेंगू के केस बड़ी संख्या में सामने आए थे। करीब 153 डेंगू के केस जिले से रिपोर्ट हुए थे जबकि मलेरिया के 53 केस पाए गए थे। वर्ष 2017 की तुलना में केस काफी कम थे। पर वर्तमान में अप्रैल की गर्मी में ही मच्छरों के हमले शुरू हो गए हैं। जो मलेरिया विभाग के लिए चिंता का विषय है।
खुले नाले मच्छरों की नर्सरी
शहर में 325 छोटे-बड़े खुले नाले मच्छरों की नर्सरी बने हुए हैं। बड़े नालों में जल प्रवाह बहुत धीमा है। ठहराव भी है। गंदगी बेशुमार है। जिससे मच्छरों के लार्वा पनपने का पर्याप्त अवसर मिल जाता है। वहीं घनी आबादी के बीच नालियों में भी मच्छर पनप रहे हैं।
इनका कहना है
केंद्र से चार सदस्यीय टीम आ रही है। मच्छरों का अध्ययन किया जाएगा। रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रलय को सौंपी जाएगी। पश्चिमी उप्र के अन्य जिलों में भी टीमें भेजी जा रही हैं। डेंगू-मलेरिया,चिकनगुनिया रोगों से निपटने की यह तैयारी है।
- सत्यप्रकाश, जिला मलेरिया अधिकारी मेरठ 
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