बदलते समय के साथ ही खत्म हो जाएगा वामपंथ

जागरण संवाददाता, मेरठ: जिस विचारधारा के केंद्र में व्यक्ति और संस्कृति नहीं होगी, उसे खत्म ह

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Mar 2018 09:39 PM (IST) Updated:Mon, 26 Mar 2018 09:39 PM (IST)
बदलते समय के साथ ही खत्म हो जाएगा वामपंथ
बदलते समय के साथ ही खत्म हो जाएगा वामपंथ

जागरण संवाददाता, मेरठ: जिस विचारधारा के केंद्र में व्यक्ति और संस्कृति नहीं होगी, उसे खत्म होने से कोई नहीं बचा सकता है। वामपंथी विचारधारा भी समय के साथ मुख्य धारा से बाहर हो रही है। चौ. चरण सिंह विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग में समकालीन भारतीय राजनीति में वामपंथ का अवसान विषय पर वक्ताओं ने यह बात कही।

राष्ट्रीय संगोष्ठी में नैनीताल से आए प्रो. मधुरेंद्र कुमार ने कहा कि विचारधाराओं का संघर्ष प्राचीन समय से चलता आ रहा है। व्यक्ति और संस्कृति से दूर रहने वाली वामपंथी विचारधारा अब प्रभावी नहीं रही। पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि आज वामपंथ की विचारधारा अप्रासंगिक हो गई है। भारतीय राजनीति में वामपंथ के बंगाल मॉडल, त्रिपुरा मॉडल और केरल मॉडल अभी दिख रहे हैं। दक्षिण एशिया अध्ययन केंद्र जेएनयू के अध्यक्ष प्रो. संजय भारद्वाज ने कहा कि वामपंथ गैर भारतीय विचारधारा है। भारतीय समाज को अधिक लंबे समय इससे बरगलाया नहीं जा सकता है। मुंबई से आए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष उमेश उपाध्याय ने कहा कि देश में मानव विकास के लिए जमीन से जुड़े भारतीय चिंतन को ऊपर ले जाना होगा। अध्यक्षीय संबोधन में प्रतिकुलपति प्रो. एचएस सिंह ने कहा कि सोवियत संघ के विघटन के साथ ही इस विचारधारा का अवसान शुरू हो गया था। वर्तमान में इसका बहुत महत्व नहीं बचा है।

-------------

छद्म विचारधारा है वामपंथ

लखनऊ विवि के प्रो. संजय गुप्ता ने वामपंथ की विचारधारा को छदम विचारधारा कहा, जो व्यक्ति पूजा को बढ़ावा देती है। विवि के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ राजेंद्र कुमार पांडे ने कहा कि राजनीति सत्ता से हट जाने से किसी भी विचारधारा का अवसान नहीं होता है। प्रो. केसी गुप्ता ने कहा कि मा‌र्क्सवाद पश्चिमी सभ्यता की उपज था। बरेली से आए डॉ एनएन पांडेय, विवि के प्रो. विध्नेश त्यागी, प्रो. एसएस चाहर आदि ने भी अपनी बात रखी। प्रवासी अध्ययन केंद्र गुजरात के निदेशक प्रो.नीरजा अरुण ने कहा कि वामपंथियों का केवल एक ध्येय राजनीति होता है, जिसमें उनका लेखन, कार्य, नारे, भाषण आदि उसमें आते हैं। संगोष्ठी में प्रो. पवन कुमार शर्मा, प्रो. संजीव कुमार शर्मा, डॉ भूपेंद्र सिंह, डॉ नरेंद्र सिंह सहित विभाग के अन्य शिक्षक, कई कॉलेजों के शिक्षक, छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

chat bot
आपका साथी