मेरठ : स्‍वजन का दर्द, अस्‍पताल में भर्ती कोविड मरीजों की नहीं मिल पा रही कोई खबर

मेरठ में मेडिकल कालेज में इलाज की व्यवस्था ने मरीज और उनके स्वजन को ऐसे ही दो राहे पर लाकर खड़ा कर दिया है कि जहां मरीज भीतर परेशान हैं तो उनके स्वजन चिंता में बाहर अधीर हो रहे हैं। मरीजों का हाल स्‍वजन तक नहीं पहुंच पा रहा है।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Wed, 05 May 2021 05:30 PM (IST) Updated:Wed, 05 May 2021 05:30 PM (IST)
मेरठ : स्‍वजन का दर्द, अस्‍पताल में भर्ती कोविड मरीजों की नहीं मिल पा रही कोई खबर
कोरोना संकट में मरीज और तीमारदार दोनों पर बुरी बीत रही है।

मेरठ, जेएनएन। घर का एक सदस्य बीमार हो तो अन्य सदस्यों की स्थिति भी बीमार जैसी ही हो जाती है। बीमार यदि घर की कोई महिला हो जाए तो परिवार के हर सदस्य की सांसें उनके ठीक होने तक अटकी रहती हैं। किसी की पत्नी, किसी की मां तो किसी की दादी, इन दिनों महामारी की चपेट में आकर अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही हैं। जीवन की यह जंग बहुत से लोग जीत भी रहे हैं लेकिन परिस्थिति को जीत में बदलने तक हर पल आशंकाओं और अंदेशों के बीच उनके स्वजन को भी लड़ना पड़ रहा है। मेडिकल कालेज में इलाज की व्यवस्था ने मरीज और उनके स्वजन को ऐसे ही दो राहे पर लाकर खड़ा कर दिया है कि जहां मरीज भीतर परेशान हैं तो उनके स्वजन गहरी चिंता में बाहर अधीर हो रहे हैं।

कान का आपरेशन, अब कोविड में भर्ती

मूल रूप से एटा निवासी और मोदीनगर के रहने वाले रामपाल सिंह ने पत्नी जया देवी को 27 अप्रैल को मेडिकल कालेज में भर्ती कराया था। उनके कान का आपरेशन हुआ था। अब जांच में कोविड रिपोर्ट पाजिटिव आई तो उन्हें कोविड मरीजों के साथ इमरजेंसी में भर्ती किया गया है। बताया गया है कि सांस लेने में दिक्कत हो रही थी इसीलिए जांच कराई गई जिसमें कोविड पाजिटिव निकला। शुरू में तो बेड भी नहीं मिला था लेकिन अब बेड मिल चुका है। दवाएं बाहर से अधिकदाम में लाकर देनी पड़ रही हैं। आपरेशन के मरीज को भीतर कोई देखने वाला नहीं है तो ठीक कैसे होंगी, ...परिवार को यही चिंता हमेशा घेरे रहती है।

भर्ती तो हो गईं मगर भीतर का हाल न मिला

बुलंदशहर में सयाना के रहने वाले सुनील शर्मा ने अपनी मां विमला देवी को कोविड पाजिटिव रिपोर्ट आने पर सोमवार रात करीब नौ बजे मेडिकल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया। सुबह आठ बजे से भर्ती कराने के लिए हुई तमाम कोशिशों के बाद रात करीब 10 बजे भर्ती कराना संभव हुआ। बुजुर्ग महिला हैं, 68 साल की उम्र में अकेले खुद का ख्याल कैसे रखेंगी। भर्ती के बाद भीतर का हाल न मिलने से मन अधिक बेचैन होता है। आक्सीजन का स्तर कम होने के कारण उन्हें आक्सीजन भी लगाई गई है लिहाजा चिंता ज्‍यादा है। किससे कहें आखिर अपने मन की बेचैनी।

हर बार बताते हैं अलग आक्सीजन लेवल

बागपत में पावली निवासी अनुभव राना ने अपनी दादी कांति देवी को कोविड वार्ड में भर्ती कराया है। दादी की जानकारी लेने के लिए अनुभव दिए गए नंबरों पर बार-बार फोन मिलाते रहते हैं लेकिन काफी देर तक कोई फोन नहीं उठाता। निचले तल पर फोन उठने पर मरीज का आक्सीजन स्तर 85 बताया जाता है तो अगले ही पल यदि दूसरे तल का फोन उठा तो वहां आक्सीजन स्तर 64-65 बता दिया जाता है। इससे बाहर बैठे स्वजन और अधिक परेशान होते रहते हैं। ऐसे माहौल में दूसरों की स्थिति देख कर धैर्य छूटने लगता है।

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