कोरोना नियंत्रण पर संगठन ने विधायकों पर उठाया सवाल
कोरोना महामारी ने जहा कहर बनकर टूटी। वहीं जनप्रतिनिधियों की गैरमौजूदगी ने लोगों मायूस कर दिया है।
मेरठ, जेएनएन। कोरोना महामारी ने जहा कहर बनकर टूटी। वहीं, जनप्रतिनिधियों की गैरमौजूदगी ने लोगों को झकझोर दिया। भाजपा क्षेत्रीय अध्यक्ष की वर्चुअल मीटिंग में कई सवाल उठे। संगठन के पदाधिकारियों ने साफ कहा कि महामारी के दौरान विधायकों की ओर से कोई मदद नहीं की गई। उन पर लखनऊ से दबाव बनाने की अपील की गई। यह क्लिप भाजपाइयों के बीच चर्चा का विषय बन गई है। उधर, तीन माह पहले भाजपा के राष्ट्रीय संगठन ने टीकाकरण में लोगों की मदद को कहा था, लेकिन पार्टी चुनावों में उलझी रही।
महामारी के दौरान जिले में बड़ी संख्या में लोग बीमार पड़े। पहले लोगों ने भाजपाइयों से मदद की गुहार की। लेकिन न संगठन साथ आया और न ही जनप्रतिनिधियों ने खास मदद की। हालाकि इस दौरान पंचायत चुनावों को लेकर पार्टी जरूर सक्रिय रही, जबकि विधायक भी चुनावी गुणागणित में उलझे रहे। इस बीच बीमारों की मदद करने का एजेंडा पीछे छूट गया। आखिरकार सगठनों ने ग्रुप बनाकर लोगों को आक्सीजन दिलाने से लेकर सिलेंडर एवं रेमेडिसिवर उपलब्ध कराने में मदद की। इंटरनेट मीडिया पर भाजपा के सासदों और विधायकों की गैरमौजूदगी पर जमकर कमेंट किए गए। संक्रमण की आशका से महानगर इकाई ने सन्नाटा ओढ़ लिया। वहीं, जिला संगठन पंचायत चुनावों में उतरकर संक्रमण फैलाने की कड़ी बन गया। महानगर ने डाक्टरों की एक टीम का नंबर सोशल साइटों पर जरूर डाला, लेकिन कार्यकर्ताओं ने ही बताया कि डा. आशू को छोड़कर किसी डाक्टर का फोन उठता नहीं था। क्षेत्रीय अध्यक्ष मोहित बेनीवाल भी कार्यकर्ताओं को लोगों की मदद के लिए प्रेरित नहीं कर पाए। उन्होंने तीन माह पहले टीकाकरण में मदद के लिए कार्यकर्ताओं को उतारने का दावा किया था, लेकिन बातें चुनावी फिजा में खो गई। बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और स्वजन बीमार पड़े। उनकी मदद अन्य संगठनों ने की।