माह के अंत तक रोडवेज के बेड़े से कम हो जाएंगी 40 बसें
रोडवेज बसों की संचालन व्यवस्था को एक के बाद एक अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है। 10 वर्ष की आयु पूरी कर चुकी 40 बसें रोडवेज के बेड़े से इस माह के अंत तक बाहर हो जाएंगी।
मेरठ, जेएनएन। रोडवेज बसों की संचालन व्यवस्था को एक के बाद एक अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है। 10 वर्ष की आयु पूरी कर चुकी 40 बसें रोडवेज के बेड़े से इस माह के अंत तक बाहर हो जाएंगी। जिनमें नौ बसें तो झांसी भेज भी दी गई हैं। एनजीटी के आदेशों के क्रम में बसें मेरठ से बाहर भेजी जाएंगी। यह मामला चल ही रहा है कि दिल्ली आइएसबीटी के अधिकारियों ने फरमान जारी कर दिया है कि वर्ष 2015 से पुरानी बसों को बस अड्डे में प्रवेश नहीं मिल पाएगा। इस आदेश के लागू होते ही मेरठ डिपो से जहां 100 बसें प्रतिदिन दिल्ली जा रही थीं, उनकी संख्या अब 56 रह गई है।
चार माह से महानगर बस सेवा में चल रहीं केवल छह एसी बसें
मेरठ महानगर बस सेवा छह वातानुकूलित बसों के सहारे संचालित हो रही है। चार माह से सामान्य बसों का संचालन बंद है। कानपुर से 80 सीएनजी बसें आनी हैं, लेकिन आरटीओ के स्तर पर मामला लंबित है। महानगर बसें न चलने से मवाना, हस्तिनापुर समेत लोकल रूटों के लिए भी यात्री रोडवेज बसों पर निर्भर हैं। बताते चलें कि जून में यात्री कम होने से 80 बसों का आरटीओ में समर्पण कर दिया गया था। मेरठ परिक्षेत्र के बेड़े में 775 बसें हैं। इनमें लगभग 680 - 690 बसों का ही संचालन हो पा रहा है। वहीं ट्रेनों का संचालन आरंभ होने से प्रदेश के अंदर और उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा जाने के लिए लोग बसों पर निर्भर हैं। एआरएम आरके वर्मा ने बताया कि जो 40 बसें जाएंगी उनके स्थान पर उन्हीं जनपदों से अपेक्षाकृत नई बसें आएंगी, ताकि उनका संचालन हो सके। बताते चलें कि अभी तक नौ बसें जा चुकी हैं, लेकिन उनके स्थान पर एक भी बस नहीं आई है।