बुलंदशहर : शिक्षकों को लील गया कोरोना, सिस्टम ने आश्रितों का तोड़ा भरोसा, मुआवजे के मापदंड पर सवाल
कोरोना से शिक्षकों के मौत के बाद साथियों के मन में उठने लगा कि शिक्षक-कर्मचारियों की जिंदगी तो कोरोना लील गया लेकिन आश्रितों को जगी आस को सिस्टम ने ही मार दिया है। ऐसे में प्रांतीय कार्यकारिणी ने तुरंत वर्चुअल बैठक बुलाई।
बुलंदशहर, जेएनएन। पंचायत चुनाव ड्यूटी के कारण संक्रमित होकर जान गंवाने वाले शिक्षक और कर्मचारियों की मौत पर मुआवजा देने की बारी आई तो सरकार ने मापदंड तय कर दिए। जिन्हें देख शिक्षक संघ मुखर हो गया। यह सवाल साथियों के मन में उठने लगा कि शिक्षक-कर्मचारियों की जिंदगी तो कोरोना लील गया, लेकिन आश्रितों को जगी आस को सिस्टम ने ही मार दिया है। ऐसे में प्रांतीय कार्यकारिणी ने तुरंत वर्चुअल बैठक बुलाई। इसमें मौत की गणना का विरोध करते हुए छह सूत्रीय मांग पत्र शासन-प्रशासन को सौंपने का निर्णय लिया है।
यह तय हुआ बैठक में
शिक्षक संघ के प्रांतीय संयुक्त महामंत्री एवं जिलाध्यक्ष सुरेंद्र यादव ने बताया कि वर्जुअल बैठक में तय हुआ कि पूर्व में 706 शिक्षकों की सूची मुख्यमंत्री को भेजी। जिसमें जिले के परिषदीय स्कूलों के 16 शिक्षक शामिल रहे। जबकि अब तक संक्रमण की चपेट में आकर मरने वाले शिक्षक-कर्मचारियों की संख्या करीब 800 तक पहुंच गई है। ये सभी वह है जो चुनाव ड्यूटी करने के कारण संक्रमित हुए थे। घर आने के बाद इनकी उपचार के दौरान मौत हुई है। सरकार मुआवजा देने से बचने के लिए मौत की गणना चुनाव ड्यूटी से घर आने-जाने तक कर रही है। जिसका संगठन विरोध जता रहा है और सरकार के रवैये पर सवाल उठाए जा रहें हैं।
यह उठाई मांग
मृतक शिक्षक-कर्मचारियों के परिवार को 50 लाख का मुआवजा, मृतकों के डिग्री धारक आश्रितों को टीईटी से छूट देकर सहायक अध्यापक बनाने, अन्य को लिपिक पद पर नौकरी देने, पुरानी पेंशन के तहत पेंशन दिलाने, गे्रचुयटी का लाभ दिलाने, सभी मरने वालों को कोरोना योद्धा घोषित करने, स्वस्थ्य हो चुके शिक्षक-कर्मचारियों के इलाज का खर्च सरकार की ओर से वहन करने की मांग उठाई गई।