मुजफ्फरनगर में अंग्रेजों के जमाने के पुल बेदम, जोखिम में है यात्रियों की जान
ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुजफ्फरनगर जिले में गंगनहर पर 14 पुल बनाए थे। सभी पुल मियाद पूरी कर चुके हैं। इन पर यात्री जान हथेली पर लेकर यात्रा करते हैं। पुलों की मियाद ब्रिटिशकाल में कितनी तय की गई इस बारे कोई स्पष्ट अभिलेख अधिकारियों के पास नहीं हैं।
संजीव तोमर, मुजफ्फरनगर। गंगनहर पर ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से 1857 से पहले पुलों का निर्माण कराया गया। जिले में कंपनी की ओर से 14 पुल बनवाए गए हैं। ब्रिटिशकालीन सभी पुल मियाद पूरी कर चुके हैं। यात्री आए दिन जान जोखिम में डालकर इनके ऊपर से गुजर रहे हैं। आजाद भारत में तीन पुल ब्रिज कारपोरेशन की ओर से बनाए गए हैं, जहां नए पुल बनाए गए हैं, वहां पुराने पुलों से आवागमन बंद कर दिया गया है।
जिले में पुरकाजी से खतौली क्षेत्र के सठेड़ी तक गंगनहर पर ब्रिटिशकालीन पुल बने हैं। इनमें से सभी 150 साल से अधिक पुराने हैं। पुरकाजी गंगनहर के पुल पर अभी भी भारी वाहन गुजर रहे हैं, जबकि बेलड़ा गांव के समीप गंगनहर पर बने पुल में दरार आने से भारी वाहनों को प्रतिबंधित किया है। पांच साल पूर्व तक इस पुल से बसों और ट्रकों का आवागमन होता था। निरगाजनी पुल में सड़क पर गड्ढे हैं। वहीं खतौली गंगनहर पर बना ब्रिटिशकालीन पुल से भी भारी वाहनों पर रोक है। पुल के बराबर में 30 साल पूर्व नया पुल बनाया गया है, जो ब्रिज कारपोरेशन ने बनवाया था। इसी क्रम में सिखेड़ा और जौली गंगनहर पर ब्रिटिशकालीन पुल पर आवागमन पूरी तरह बंद हैं। यहां पर भी ब्रिज कारपोरेशन ने नए पुल बनाए हैं। सिखेड़ा गंगनहर पर आठ माह पूर्व ही पुल का निर्माण पूरा हुआ था।
इन क्षेत्रों में हैं गंगनहर पर पुल
पुरकाजी, निरगाजनी, बेलड़ा, भोपा, जौली, जौली में अनुपशहर ब्रांच पुल, जानसठ मार्ग, खतौली, सठेड़ी पर ब्रिटिशकालीन पुल बने हैं। जौली में तीन पुल हैं, जबकि खतौली क्षेत्र में दो पुल हैं। जौली में एक अस्थाई पुल आर्मी ने भी बनवाया था, जो वर्तमान में भी मौजूद हैं, लेकिन इससे आवागमन नहीं हो रहा है।
रुड़की में पुलों का रिकार्ड
गंगनहर पर बने पुलों की मियाद ब्रिटिशकाल में कितनी तय की गई, इस बारे कोई स्पष्ट अभिलेख अधिकारियों के पास नहीं हैं। पुलों के संबंधित में अधिकतर रिकार्ड उत्तराखंड के हरिद्वार और रुड़की स्थित कार्यालय में है। विभागकर्मी बताते हैं कि वहां भी मियाद का जिक्र नहीं है। पुल की मियाद का आंकलन उसके ऊपर से गुजरने वाले ट्रैफिक पर भी निर्भर रहता है।
कालखंड बता रहे पत्थर
ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारियों ने 150 साल पहले गंगनहर पर पुलों का उद्घाटन किया था। अफसरों के नाम के पत्थर पुलों के समीप लगाए गए, लेकिन अधिकतर पत्थर उखड़ गए हैं, जो हैं उन पर अफसरों के नाम पढऩे में नहीं आते हैं। केवल वर्ष की पहचान हो रही है।
इनका कहना है...
जिले में गंगनहर पर जो पुल बनवाए गए वह 1857 से पूर्व हैं, जो ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से बनवाए गए थे। आजाद भारत में जो पुल बने वह ब्रिज कारपोरेशन और नेशनल हाईवे अथारिटी आफ इंडिया की ओर से बनवाए गए हैं। विभााग की ओर से समय-समय पर मरम्मत कराई गई।
- हरी शर्मा, एक्सईएन सिंचाई विभाग