मेडिकल कॉलेज में नहीं है ब्रेन डेड मरीजों का रिकार्ड, अंगदान की रिपोर्ट केे ल‍िए डीजी ने लगाई आरटीआइ

नोटो ने मेडि‍कल कॉलेज से ब्रेन डेड का रिकार्ड मांगा था लेकिन मेडिकल में ब्रेन डेड मरीजों का कोई रिकार्ड नहीं है। डीजी को आरटीआइ लगाकर अंगदान की रिपोर्ट मांगनी पड़ी।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Sun, 19 May 2019 11:48 AM (IST) Updated:Sun, 19 May 2019 11:48 AM (IST)
मेडिकल कॉलेज में नहीं है ब्रेन डेड मरीजों का रिकार्ड, अंगदान की रिपोर्ट केे ल‍िए डीजी ने लगाई आरटीआइ
मेडिकल कॉलेज में नहीं है ब्रेन डेड मरीजों का रिकार्ड, अंगदान की रिपोर्ट केे ल‍िए डीजी ने लगाई आरटीआइ
मेरठ, [संतोष शुक्ल]। क्या आप जानते हैं कि मेडिकल कॉलेज में ब्रेन डेड घोषित किए गए मरीजों का कोई रिकार्ड नहीं है। पांच साल के अंदर कितने मरीजों के अंग निकाले गए और क्या किसी विदेशी में अंग प्रत्यारोपण किया गया? इस तरह के कई सवाल पर भी मेडिकल कॉलेज ने नेशनल आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गनाइजेशन (नोटो-ठडळळड) के निदेशक को भी भ्रमित कर दिया। एनेस्थीसिया ने सर्जरी और न्यूरो विभाग पर टाल दिया। बता दें कि देशभर में मानव अंगों के व्यापार में तमाम रैकेट पकड़े जा चुके हैं।
सिर्फ कार्निया ट्रांसप्लांट की रिपोर्ट भेजी
नोटो की निदेशक डॉ. वसंती रमेश ने दस अप्रैल 2019 को डीजी चिकित्सा शिक्षा को पत्र लिखकर प्रदेश के मेरठ समेत कई मेडिकल कॉलेजों से एक जनवरी, 2013 से 31 दिसंबर, 2018 के बीच किए गए अंग प्रत्यारोपण, टिश्यू डोनेशन, विदेशियों में किए गए ट्रांसप्लांट एवं इस बीच मेडिकल अस्पतालों में ब्रेन डेड घोषित किए गए मरीजों की संख्या का रिकार्ड तलब किया। डीजी चिकित्सा शिक्षा ने राजकीय मेडिकल कॉलेजों को पत्र लिखकर आरटीआइ के माध्यम से मांगी गई जानकारी नोटो के ई-मेल पर भेजने के लिए कहा। पूर्व में डॉ. वसंती रमेश ने मेडिकल कॉलेजों के इस संबंध में आंकड़े साझा न करने पर चिंता जताई थी। लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज ने एनेस्थीसिया विभाग को लिखा। विभाग ने किसी भी सूचना से इन्कार करते हुए फाइल सर्जरी विभाग के पास भेज दी। सर्जरी विभाग ने ब्रेन डेड के रिकार्ड के लिए न्यूरो विभाग को जिम्मेदार बता दिया। आखिरकार सिर्फ कार्निया ट्रांसप्लांट की रिपोर्ट मिल सकी, जबकि इस बीच दुर्घटनाग्रस्त मरीजों के ऊतकों के निकालने की कोई जानकारी नहीं दी गई। हालांकि मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने कहा कि यहां पर अंग प्रत्यारोपण नहीं किया जाता है।
क्या है नोटो
नेशनल आर्गन एंड टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गनाइजेशन (नोटो) दिल्ली की एक संस्था है, जो डीजी हेल्थ भारत सरकार के अधीन काम करती है। इसका लक्ष्य अंगदान के जरिए मरीजों का जीवन बचाना है। यह संस्था सभी मेडिकल कॉलेजों एवं अस्पतालों में अंगदान या जुड़े विषय की जानकारी जुटाती है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप

chat bot
आपका साथी