Blockchain Technology: सीबीएसई ने ब्लाकचेन तकनीक से सुरक्षित की मार्कशीट, जानिए क्या मिलेंगे इसके फायदे
Blockchain Technology सीबीएसई ने नई पहल करते हुए छात्रों के हित में सोचा है। ब्लाकचेन तकनीक के जरिए छात्रों की मार्कशीट को सुरक्षित रखा जाएगा। इससे विश्वविद्यालय और नौकरी के समय कंपनियां सीधे स्वयं ही कागजात वेरीफिकेशन कर सकेंगी। यह छात्र हित मेंं है।
मेरठ, जागरण संवाददाता। Blockchain Technology सीबीएसई ने छात्र-छात्राओं की मार्कशीट व अन्य कागजातों को आनलाइन सुरक्षित रखने के लिए ब्लाकचेन तकनीक का इस्तेमाल किया है। एनआइसी यानी नेशनल इंफार्मेटिक्स सेंटर के सेंटर आफ एक्सीलेंस फार ब्लाकचेन टेक्नोलाजी के जरिए कागजातों को डिजिटल रूप से सुरक्षित किया है, जिसे देखा तो जा सकता है लेकिन कोई अन्य व्यक्ति इसमें किसी भी तरह से छेड़छाड़ या बदलाव नहीं कर सकेगा। एडमिशन के समय तमाम कालेज, विश्वविद्यालय और नौकरी के समय कंपनियां सीधे स्वयं ही कागजात वेरीफिकेशन कर सकेंगी।
टैंपर प्रूफ हुए कागजात
सीबीएसई एबीसीडी यानी एकेडमिक ब्लाकचेन डाक्यूमेंट्स को टैंपर प्रूफ रखने के लिए इसे अलग-अलग सर्वर पर रखा गया है, जो आपस में लिंक हैं और सुरक्षित हैं। इस साल शुरू हुई इस व्यवस्था में सीबीएसई में 2019-2021 तक के बोर्ड परीक्षा से संबंधित छात्रों के कागजातों को अपलोड किया है। धीरे-धीरे अन्य सालों के कागजात भी अपलोड किए जाएंगे। ब्लाकचेन नेटवर्क को बेेंगलुरु, पुणे और जयपुर स्थित नोड से जोड़ा गया है। वर्तमान में सर्टिफिकेट चेन का एनआइसी अपने डाटा सेंटर से प्रबंधन कर रही है।
वेरीफिकेशन के लिए नहीं भेजना होगा
एडमिशन, नौकरियों, लोन आदि के लिए जमा सर्टिफिकेट का सत्यापन कराने के लिए बड़ी संख्या में सीबीएसई को आवेदन मिलते रहे हैं। अब सीबीएसई एबीसीडी के जरिए घर बैठे ही कागजातों का सत्यापन हो सकेगा। क्रिप्टोग्राफिक सिक्योरिटी से सुरक्षित यह सर्टिफिकेट अपरिवर्तनशील और पता लगाने योग्य हैं। इन्हें ब्लाकचेन से जोड़े जाने के कारण इनसे छेड़छाड़ नहीं की जा सकती, जिससे डाटा भरोसे योग्य होता है।
12 करोड़ कागजात डिजिटलाइज
सीबीएसई ने वर्ष 2016 में बोर्ड परीक्षा के कागजातों को डिजिटल फार्मेट में मुहैया कराने के लिए 'परिणाम मंजूशा' नामक पोर्टल तैयार किया था। डिजीलाकर प्लेटफार्म से जुड़े इस नेटवर्क में 10वीं व 12वीं के 18 साल यानी साल 2004 से 2021 तक बोर्ड परीक्षा के कागजात रखे गए हैं। इनमें करीब 12 करोड़ मार्कशीट, माइग्रेशन सर्टिफिकेट और पास सर्टिफिकेट को क्यूआर कोड से सुरक्षित किया गया है। इस साल के अंत तक सीबीएसई ने वर्ष 1975 से अब तक के कागजातों को डिजीलाकर में रखने का लक्ष्य निर्धारित किया है।