BJP नेता डा. लक्ष्‍मीकांत बाजपेयी ने साझा की यादें, जब Choudhary Ajit Singh के साथ चार्टर प्लेन में जयपुर तक किया था सफर...

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह के साथ सफर की एक यादें दैनिक जागरण से साझा करते हुए बताया कि वे चार्टर प्‍लेन में जयपुर तक उनके साथ सफर किया था। जिसमें उन्‍होंने सिर्फ किसानों की ही बातें करते रहे।

By Himanshu DwivediEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 10:14 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 10:14 AM (IST)
BJP नेता डा. लक्ष्‍मीकांत बाजपेयी ने साझा की यादें, जब Choudhary Ajit Singh के साथ चार्टर प्लेन में जयपुर तक किया था सफर...
पूर्व भाजपा के अध्‍यक्ष डा. लक्ष्‍मीकांत ने यादें साझा की हैं।

[डा. लक्ष्मीकांत बाजपेयी] पूर्व भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष। चौधरी अजित सिंह केंद्र में कृषि मंत्री थे, और मैं था उत्तर प्रदेश सरकार में पशुधन और दुग्ध विकास मंत्री। जयपुर में आयोजित एक महत्वपूर्ण बैठक मे पहुंचना था। चौधरी साहब ने मुझसे साथ चलने के लिए कहा। पहले अपनी कोठी पर बुलाकर चाय पिलाई। इसके बाद नई दिल्ली एयरपोर्ट से छह सीटों वाले चार्टर प्लेन से हम साथ-साथ जयपुर गए। एक घंटे के सफर में छोटे चौधरी किसानों की स्थिति पर ही बात करते रहे। उनका विजन बहुत साफ था। उनके मन में किसानों के प्रति गहरी संवेदना थी। आंकड़ों से ज्यादा व्यावहारिक स्थितियों के आधार पर आकलन में यकीन रखते थे।

छोटे चौधरी का प्लेन सुबह नौ बजे जयपुर पहुंच गया। मैं उनके साथ सर्किट हाउस पहुंचा। करीब एक घंटे साथ रहने के बाद हम दोनों बैठक में पहुंचे। वहां चौधरी साहब का लोगों ने जोरदार स्वागत किया। चौधरी साहब गंभीर व्यक्ति और बेहद पढ़े लिखे राजनेता थे। किसी के प्रति कोई वैमनस्य नहीं रखते थे। दुग्ध विकास एवं पशुधन मंत्री होने के नाते जयपुर से वापसी के दौरान मैं उनसे कई बिंदुओं पर पूछता रहा। 15 साल तक अमेरिका रहकर आने के बावजूद भारत की कृषि आधारित व्यवस्था पर उनकी गहरी समझ देखकर मैं दंग हो गया। वो देश में ऐसा माडल चाहते थे, जिसमें किसानों की सरकारों पर निर्भरता कम से कम हो। किसान खुशहाल और प्रगतिशील बने, जिससे लोकतंत्र भी सेहतमंद हो। उन्होंने मुङो उप्र में पशुधन विकास की संभावनाओं के बारे में गाइड किया। उनका व्यावहारिक मागदर्शन बहुत काम आया। दिनभर साथ रहने के बावजूद छोटे चौधरी के मुंह से मैंने किसी राजनेता या दल की बुराई नहीं सुनी। असहमति के बावजूद उनकी भाषा सरल और प्रभावी थी। छोटे चौधरी के तर्को का कोई जवाब नहीं होता था। वो आजादी के बाद से तब तक के वक्त तक देश में सुधारों की धीमी गति पर बेहद चिंतित थे। एक बार मैं अलीगढ़ में एक राजनीतिक रैली में भी साथ रहा। उम्र में मुझसे 12 साल बड़े थे, मुङो छोटे भाई की तरह मानते थे। किसानों के लिए उनका समर्पण ही है कि आज हर किसी की आंख चौधरी अजित सिंह के लिए नम है।

(लेखक भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष हैं)

chat bot
आपका साथी