जन्मदिन पर विशेष : छात्र संघ अध्यक्ष से राज्यपाल बनने तक ऐसा रहा सत्यपाल मलिक का सियासी सफर
मेरठ कालेज के छात्र अध्यक्ष रहे सत्यपाल मलिक ने 1974 में पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के कहने पर उनकी पार्टी भारतीय क्रांति दल से बागपत सीट से विधानसभा चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बन गए थे ।
बागपत, (भूपेंद्र शर्मा)। मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आज यानि 24 जुलाई को 75 वां जन्मदिन हैं। सत्यपाल मलिक का जन्म बागपत के गांव हिसावदा में 24 जुलाई 1946 को हुआ था। पिता स्वर्गीय बुद्ध सिंह उत्तर प्रदेश के राजस्व विभाग में नायाब तहसीलदार और माता स्वर्गीय जगनी देवी गृहणी थी। जब सत्यपाल मलिक ढाई साल के थे, तो फूलपुर में तैनाती के दौरान पिता का देहांत हो गया था। पिता के देहांत के बाद माता इन्हें लेकर अपने मायके हरियाणा के चरखी दादरी चली गई थी। ननिहाल में ही इनकी कक्षा चार तक की शिक्षा हुई थी। इसके बाद माता इन्हें लेकर वापस गांव हिसावदा आ गई थी। फिर इनकी प्राथमिक शिक्षा गांव में हुई थी। गांव ढिकौली के महात्मा गांधी मैमोरियल इंटर कालेज से इंटरमीडिएट करने के बाद सत्यपाल सिंह ने 1964 में मेरठ का रूख किया था। सत्यपाल मलिक ने 1966-67 में मेरठ कालेज से बीएससी व 1970 में एलएलबी की थी। इस दौरान वह दो बार मेरठ कालेज के छात्र संघ अध्यक्ष रहे थे।
छात्र राजनीति से शुरू किया था सियासी सफर
मेरठ कालेज के छात्र संघ अध्यक्ष रहकर सत्यपाल मलिक ने सियासी सफर शुरू किया था। 1974 में सत्यपाल मलिक पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के कहने पर उनकी पार्टी भारतीय क्रांति दल से बागपत सीट से विधानसभा चुनाव लड़े और जीतकर विधायक बने। 1977 में इमरजेंसी के दौरान जेल में रहे। 1980 से 85 तक लोकदल से राज्यसभा सांसद रहे। फिर 1985 से 1989 तक कांग्रेस से राज्यसभा सांसद रहे। इसके बाद बोफोर्स के मुद्दे को लेकर राज्यसभा सांसद के पद से त्यागपत्र देकर पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के जनमोर्चा में शामिल हो गए।
अनुच्छेद 370 व 35 ए हटाने में अहम भूमिका
1989 में जनता दल के प्रत्याशी के रूप में अलीगढ़ से लोकसभा का चुनाव जीते और केन्द्र सरकार में संसदीय मंत्रालय व पर्यटन राज्यमंत्री बने। 1996 में अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र से सपा प्रत्याशी के रूप में लोकसभा चुनाव हार गए। 2004 में बागपत लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और चौधरी अजित सिंह से हार गए। इसके बाद 2012-13 में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे। 2017 में बिहार के राज्यपाल बने। फिर 23 अगस्त 2018 से 30 अक्टूबर 2019 में जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल रहे। उन्होंने जम्मू और कश्मीर में से अनुच्छेद 370 व 35 ए को हटाने में अहम भूमिका निभाई। सत्यपाल मलिक तीन नवंबर 2019 में गोवा के राज्यपाल बनें। फिर 18 अगस्त 2020 से सत्यपाल मलिक मेघालय के राज्यपाल हैं।
माया त्यागी हत्याकांड में निभाई अहम रोल
बागपत में 1982 में हुए माया त्यागी हत्याकांड को लेकर जनता में आक्रोश था। तब शासन-प्रशासन के खिलाफ सत्यपाल मलिक के नेतृत्व में लड़ाई लड़ी गई थी। धरना व प्रदर्शन किया और मजबूर होकर पुलिस को हत्यारोपितों को पकड़कर जेल भेजना पड़ा था।
दिल्ली में रहते हैं पुत्र
सत्यपाल मलिक की पत्नी डा. इकबाल मलिक चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी में जीव विज्ञान की प्रवक्ता थी, जो बाद में दिल्ली यूनिवर्सिटी से डायरेक्टर के पद से रिटायर हुई थी। उनके पुत्र देवकबीर मलिक माता, पत्नी व बच्चों के साथ दिल्ली में रहते हैं। गांव हिसावदा में स्थित मकान में उनके परिवार से जुड़े कुछ लोग ही रहते हैं। बिहार का राज्यपाल बनने के बाद सत्यपाल सिंह गांव में आए थे, तो उनका भव्य स्वागत हुआ था।