जिस मां को मृत मान लिया...वह पांच साल बाद जिंदा मिली, जानिए बिजनौर का क्‍या है मामला

बिजनौर निवासी रामगोपाल बताते हैं कि उनके पिता ब्रजपाल वर्ष 2016 में लकवाग्रस्त होने के बाद बिना बताए कहीं चले गए। इस घटना के बाद उनकी माता रामा देवी परेशान रहने लगीं। जुलाई-2016 में उनकी मां उत्तराखंड के कालाढूंगी में रहने वाले उनके मामा राजन के यहां चली गई थीं।

By Parveen VashishtaEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 11:46 PM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 07:28 AM (IST)
जिस मां को मृत मान लिया...वह पांच साल बाद जिंदा मिली, जानिए बिजनौर का क्‍या है मामला
कोलकाता कालका एक्सप्रेस में अपनी मां रामादेवी के साथ मौजूद छोटा पुत्र कृष्ण गोपाल

बिजनौर, जागरण संवाददाता। पांच साल पहले जिस मां को मृत मान चुके थे, उसके जीवित होने की खबर मिली तो पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। दरअसल, भाई ने मारपीट कर उन्हें ट्रेन में बैठा दिया था। हालात से जूझते हुए वृद्धा कोलकाता पहुंच गई और वहां मधुवासी वृद्धाश्रम में शरण लिए थी। अपनों से मिलने की आस छोड़ चुकी मां का बेटे से मिलन हुआ तो दोनों जार-जार रो उठे। बेटा उन्हें लेकर गांव लौट रहा है। फिल्मी सी लगने वाली इस सच्ची कहानी में दर्द भी है और रिश्तों की कडिय़ां घिसने की झलक भी।

यह है मामला

नगीना थानाक्षेत्र के ग्राम सैदपुरी महीचंद निवासी रामगोपाल बताते हैं कि उनके पिता ब्रजपाल सिंह वर्ष 2016 में लकवाग्रस्त होने के बाद बिना बताए कहीं चले गए। थाने में गुमशुदगी भी दर्ज कराई थी, लेकिन उनका कोई पता नहीं चला। इस घटना के बाद उनकी माता रामा देवी परेशान रहने लगीं। जुलाई-2016 में उनकी मां उत्तराखंड के कालाढूंगी में रहने वाले उनके मामा राजन के यहां चली गई थीं। कुछ समय बाद रामगोपाल के परिवार में बेटी का जन्म हुआ तो वह अपनी मां को लेने मामा के घर पहुंचे। उनकी मामी ने बताया कि दो दिन पूर्व रामा का निधन हो गया। उन्होंने उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया। मामी ने बताया कि वह उन्हें सूचना देने के लिए फोन कर रहे थे, लेकिन फोन नहीं लग पाया। इसके बाद रामगोपाल वापस गांव आ गए। मां की आत्मिक शांति के लिए हवन-यज्ञ कराया गया।

ऐसे आया नया मोड़

इस घटना में नया मोड़ 21 नवंबर को तब आया, जब मंझेड़ा पुलिस चौकी पुलिस ने रामगोपाल को वाट्सएप पर रामादेवी का फोटो भेजा। पुलिस ने बताया कि उक्त महिला कोलकाता में एक वृद्धाश्रम में है। रामगोपाल के छोटे भाई कृष्णगोपाल कोलकाता पहुंचे। मां को देख उनकी आंखें भर आईं। बेटा मां को लेकर दिल्ली पहुंच चुका है। रामादेवी ने बताया कि उस दौरान उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी। उनके भाई ने मारपीट कर उन्हें ट्रेन में बैठा दिया था। वह कोलकाता पहुंच गई, जहां वृद्धाश्रम में शरण मिली। बाद में एक एनजीओ ने खोजबीन कर महिला को उसके परिवार से मिलाने में मदद की।

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