छोटी फिल्मों से दिया बड़ा संदेश

चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग और मेरठ चलचित्र सोसाइटी की ओर से लघु फिल्म महोत्सव में पांच से 10 मिनट की फिल्में दिखाई गईं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Oct 2021 03:47 AM (IST) Updated:Sat, 23 Oct 2021 03:47 AM (IST)
छोटी फिल्मों से दिया बड़ा संदेश
छोटी फिल्मों से दिया बड़ा संदेश

मेरठ, जेएनएन। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय में पत्रकारिता विभाग और मेरठ चलचित्र सोसाइटी की ओर से लघु फिल्म महोत्सव में पांच से 10 मिनट की फिल्में दिखाई गईं। छोटी-छोटी फिल्मों के माध्यम से पर्यावरण, पानी, आक्सीजन के महत्व को समझाते हुए समाज को बड़ा संदेश देने की कोशिश की गई। इन फिल्मों को अलग-अलग कालेजों के छात्र- छात्राओं ने तैयार किया था। जिसमें सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को पुरस्कृत भी किया गया। 10 मिनट वाली फिल्मों में 'आक्सीजन' को प्रथम पुरस्कार

10 मिनट वाली फिल्मों में आक्सीजन फिल्म सभी को पसंद आई। कोरोना काल में आक्सीजन के महत्व को दर्शाती इस फिल्म की एक्टिग व संवाद को सभी ने पसंद किया। महाराष्ट्र से आई इस फिल्म को प्रथम पुरस्कार मिला। विभाजन पर बनी फिल्म दूसरे नंबर पर रही। इसे सीसीएसयू के पत्रकारिता विभाग के छात्रों ने बनाया था। इसके अलावा लगन देश सेवा की, नजरिया, डिस्पोजल फैमिली, हिदी हैं हम जैसी लघु फिल्मों को सांत्वना पुरस्कार मिला।

पांच मिनट अवधि की फिल्मों में 'आंदोलन' पहली पसंद

पांच मिनट की अवधि की फिल्मों में एसआरडी मीडिया की बनाई 'आंदोलन' दर्शकों की पहली पसंद रही। सीसीएसयू के छात्रों की बनाई फिल्म 'मोबाइल के मारे हम' दूसरे स्थान पर रही। कैंची बाजार, द फ‌र्स्ट डे, अनरिकागनाइज बोस, नाट जस्ट ए ड्रीम, लुक डू लाई जैसी फिल्मों को सांत्वना पुरस्कार मिला।

मोबाइल से भी बन सकती हैं फिल्में

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति केजी सुरेश ने लघु फिल्मों को सराहा। कहा कि आजकल ऐसी फिल्में बन रहीं हैं जिसे परिवार के साथ नहीं देखा जा सकता। युवा पीढ़ी को परिवार के साथ देखने वाली फिल्में बनानी चाहिए। फिल्में केवल बालीवुड या हालीवुड की नहीं होतीं। मोबाइल से भी फिल्में बनाई जा सकती हैं। वर्तमान की फिल्मों में इतिहास को गलत तरीके से पेश किया जाता है। विशिष्ट अतिथि धमेंद्र भारद्वाज रहे। अध्यक्षता कुलपति प्रो. एनके तनेजा ने की। निर्णायक में नीता गुप्ता, सुमंत डोगरा, डा. दिशा दिनेश, निदेशक डा. प्रशांत कुमार, अजय मित्तल, डा. दर्शन लाल अरोड़ा आदि रहे।

--- फोटो- 628 मुतासिर राम जी से फिल्म का दृश्य

'मुतासिर राम जी से' फिल्म को सराहा

फिल्म महोत्सव में मेरठ के मास्टर स्कूल आफ मैनेजमेंट कालेज के छात्रों ने 'मुतासिर राम जी से' फिल्म दिखाई। निर्देशन व लेखन मो. आबिद ने किया। फिल्म को बनाने में स्मिता शर्मा, विदूषी शर्मा, मोहित सती और बीबीए के छात्रों ने भूमिका निभाई। फिल्म की पटकथा और संदेश को सभी ने सराहा।

छह राज्यों की 49 फिल्में दिखाई

लघु फिल्म महोत्सव में छह राज्यों की 49 फिल्में दिखाईं गईं। सभी फिल्मों में समाज को देने वाले संदेश रहे।

--- फिल्मों पर प्रतिक्रिया फोटो - 625-

पांच मिनट की फिल्म नाट जस्ट ए ड्रीम अच्छी लगी, जिसमें पानी की कीमत को बताया गया था।

सनद राय, आइआइएमटी, ग्रेटर नोएडा

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626 -

कोविड के समय में आक्सीजन की कीमत को बताती फिल्म आक्सीजन सबसे अच्छी लगी। साथ ही आजादी के दौरान किए जन सहयोग पर आधारित फिल्म भी पसंद आई।

मनीष सिसौदिया, सीसीएसयू

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आक्सीजन फिल्म में एकदम वास्तविकता दिखाई गई। इस फिल्म में कलाकारों ने भी शानदार एक्टिग की। महोत्सव के माध्यम से युवाओं को अपनी रचनात्मकता दिखाने का अवसर मिला।

दीपांशी, छात्रा सीसीएसयू

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