70 साल की आयु में दी कोरोना को मात
कोरोना पाजिटिव होने के बाद सबसे जरूरी है अपने आत्मविश्वास को बनाए रखना।
मेरठ,जेएनएन। कोरोना पाजिटिव होने के बाद सबसे जरूरी है, अपने आत्मविश्वास को बनाए रखना। इसका हमारी सेहत पर सकारात्मक असर पड़ता है। 70 साल की आयु में अशोक गोयल और उनकी पत्नी सरला को कोरोना हो गया। दोनों ने अपनी हिम्मत से इस संक्रमण को हरा दिया। अशोक गोयल बताते हैं कि उन्होंने 10 मार्च को ही कोविशील्ड का पहला डोज लगवा लिया था। डाक्टर के तुरंत इलाज और वैक्सीन की पहली खुराक लेने की वजह से वह पूरी तरह से कोरोना से लड़ पाए।
अशोक गोयल बताते हैं कि 20 से 25 अप्रैल तक दोनों को बुखार रहा। डाक्टर की सलाह पर सीटी स्कैन, ब्लड टेस्ट के साथ कोरोना का टेस्ट कराया। 28 अप्रैल को कोरोना पाजिटिव की रिपोर्ट आई। घर पर डाक्टर की बताई गई दवा का नियमित सेवन करते रहे। चार मई को सांस फूलने की समस्या हुई तो इसकी जानकारी डाक्टर को दी। घर पर ही आक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था कराई गई। इतना होने के बाद भी दोनों हिम्मत नहीं हारे। घर पर रहते हुए नौ मई से सांस फूलने की समस्या खत्म हो गई। अब वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
अपनी सोच को पाजिटिव रखिए : कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन सबसे जरूरी है। जिन लोगों ने इसकी एक डोज भी लगवा ली, उनके शरीर की प्रतिरक्षण प्रणाली मजबूत हुई है। कोरोना से इस लड़ाई में यह एक बड़ा हथियार है। हरेंद्र सिंह और उनकी पत्नी बिदू सिंह ने वैक्सीन की एक डोज ली। उसी दौरान हरेंद्र सिंह कोरोना पाजिटिव हो गए। वह बताते हैं कि नौ अप्रैल को उनकी रिपोर्ट पाजिटिव हुई तो घर पर ही खुद को आइसोलेट किया। विटामिन सी, जिक, बुखार आदि की गोली डाक्टर की सलाह पर ली। छह से सात दिन दवा चली। बहुत अधिक कमजोरी होने की वजह से दो दिन अस्पताल में भी भर्ती हुआ, लेकिन अस्पताल की स्थिति देखकर घबराहट हुई तो डिस्चार्ज होकर घर चला आया। वह बताते हैं कि 10 दिन से पहले दोबारा से टेस्ट कराया जो फिर से रिपोर्ट पाजिटिव आ गई। घर पर रहते हुए योग, प्राणायाम करते रहे। नौ मई को टेस्ट में रिपोर्ट निगेटिव आ गई। हरेंद्र सिंह बताते हैं कि संक्रमण के बाद खुद को नकारात्मक चीजों से दूर रखना बहुत जरूरी है। मन में सकारात्मक सोच होने से इस बीमारी से हम जल्दी बाहर आ सकते हैं।