ओलिम्पिक नाम का झांसा देने वाले 'नटवरलाल' से सावधान कर रहा एथलेटिक्स फेडरेशन, इस तरह वसूल रहे मोटी रकम

दुनिया भर के खेल संगठन अपने नाम में ओलिम्पिक शब्द जोड़कर खिलाड़ियों को ठगने का धंधा चला रहे हैं। ऐसी बहुत सी प्रतियोगिताएं होती हैं जिनमें हर खिलाड़ी से डेढ़ से दो हज़ार रुपये एंट्री फीस ली जाती है और प्रतियोगिता में प्रतिभाग कराया जाता है।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 07:59 AM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 07:59 AM (IST)
ओलिम्पिक नाम का झांसा देने वाले 'नटवरलाल' से सावधान कर रहा एथलेटिक्स फेडरेशन, इस तरह वसूल रहे मोटी रकम
ओलिम्पिक नाम का झांसा देने वालों से सावधान।

मेरठ, अमित तिवारी। दुनिया भर के खेल संगठन अपने नाम में 'ओलिम्पिक' शब्द जोड़कर खिलाड़ियों को ठगने का धंधा चला रहे हैं। ऐसी बहुत सी प्रतियोगिताएं होती हैं जिनमें हर खिलाड़ी से डेढ़ से दो हज़ार रुपये एंट्री फीस ली जाती है और प्रतियोगिता में प्रतिभाग कराया जाता है, जबकि वह संस्था, वह प्रतियोगिता किसी भी भारतीय मान्यता प्राप्त संस्था से संबंधित नहीं होती। न ही उन्हें मान्यता होती है। ऐसी प्रतियोगिताओं के आयोजन लगातार बढ़ने और खिलाड़ियों से ठगी करने की सूचनाएं मिलने के बाद एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया ने खिलाड़ियों को फर्जी संस्थाओं के बारे में आगाह करना शुरू कर दिया है। खिलाड़ियों को खेल का मौका देने के नाम पर ऐसी प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं जिनके सर्टिफिकेट का कोई महत्व नहीं होता है। अनजाने में खिलाड़ी ऐसी प्रतियोगिताओं में पदक या सर्टिफिकेट जीतने के बाद भी नौकरियों में आवेदन नहीं कर पाते हैं। जो करते हैं, वेरिफिकेशन में उनके सर्टिफिकेट को फर्जी बताकर वापस भेज दिया जाता है।

खिलाड़ियों को सीधे जोड़ते हैं यह फर्जी संगठन

इस तरह के जितने भी फर्जी खेल संगठन हैं, वह खिलाड़ियों के बीच खुद पहुंचते हैं। आयोजक, संस्था और प्रतियोगिता का भारी-भरकम नाम रखकर खिलाड़ियों के बीच उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता बताते हैं। पिछले दिनों इस तरह की एक प्रतियोगिता नेपाल व भूटान में भी हुई थी और खिलाड़ियों से डेढ़ डेढ़ हजार रुपये एंट्री फीस भी ली गई थी। इसकी जानकारी मिलने के बाद एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया ने फर्जी संगठनों की खोजबीन शुरू की। जनवरी में भी बदायूं में इस तरह की कंप्लेंट की गई थी। जांच करने पर पता चला कि फर्जी खेल संगठन, स्पोर्ट्स गेम्स डेवलपमेंट फाउंडेशन, ओलंपियाड स्पोर्ट्स एंड गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, रूरल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया यूथ स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन स्टूडेंट्स ओलंपिक एसोसिएशन आदि के नाम पर सक्रिय थे। खिलाड़ी इंडिया या ओलंपिक नाम देखकर ही उसे सच मान लेते हैं और उनकी प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने चले जाते हैं। एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया का कहना है कि ऐसे खिलाड़ी झांसा देने वाले इन नटवरलाल के चक्कर में भारी-भरकम शब्द व संगठन के नाम के चक्कर में पड़ जाते हैं, जबकि इनका कोई जमीनी आधार ही नहीं होता है। फर्जी संगठन बनाकर ऑनलाइन फर्जी वेबसाइट भी बना लेते हैं, जिसमें अपने तमाम उपलब्धियों के साथ भारत सरकार से मान्यता प्राप्त भी बताते हैं। जबकि ऐसे बहुत से संगठन हैं जिन्हें कोई मान्यता प्राप्त नहीं है।

यह है देशभर में सक्रिय 22 खेल फेडरेशन

देश के विभिन्न क्षेत्रों में प्रतियोगिताएं आयोजन कराने वाले 22 फर्जी स्पोर्ट्स फेडरेशन को चिन्हित किया गया है। इनमें इंडियन स्टूडेंट्स ओलंपिक एसोसिएशन, स्टूडेंट्स ओलंपिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया स्पोर्ट्स फेडरेशन, यूथ स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, ओलंपियाड स्पोर्ट्स गेम्स इंडिया, ओलंपियाड स्पोर्ट्स एंड गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, रूरल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, रूरल गेम्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, रूरल गेम्स ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया, इंडियन रूरल ओलंपिक एसोसिएशन, ट्रेडिशनल कल्चरल एंड स्पोर्ट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, इंडियन स्कूल स्पोर्ट्स एसोसिएशन, समर ओलंपिक एसोसिएशन ऑफ इंडिया, स्टूडेंट गेम्स डेवलपमेंट फाउंडेशन, इंडियन स्पोर्ट्स डेवलपमेंट काउंसिल, स्टूडेंट्स गेम्स फेडरेशन, मिशन ओलंपिक एसोसिएशन, इंडिया स्कूल स्पोर्ट्स एंड कल्चरल एक्टिविटीज फेडरेशन, स्कूल गेम्स डेवलपमेंट फाउंडेशन, इंडिया अर्बन गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया, यूथ स्पोर्ट्स फेडरेशन, अमेचर गेम्स फेडरेशन आदि नाम से फर्जी संगठन फर्जी खेल प्रतियोगिताएं आयोजित कर फर्जी सर्टिफिकेट और पदक बांट रहे हैं। इसके एवज में मोटी एंट्री फीस वसूल रहे हैं।

एएफआई ने टि्वटर पर किया ताजा फेक अलर्ट

एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया ने एक ताजा मामले में ट्विटर पर फेंक अलर्ट जारी कर खिलाड़ियों को आगाह किया है। एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से मध्यप्रदेश में आयोजित तथाकथित तृतीय नेशनल गेम्स जो कि 21 से 23 अक्टूबर तक बालक बालिकाओं के लिए आयोजित की जा रही है, से आगाह किया है। एएफआई ने स्पष्ट किया है कि यह एएफआई द्वारा मान्यता प्राप्त नेशनल इवेंट नहीं है और इसमें प्रतिभाग कर खिलाड़ी झांसे में न आए। एएफआई ने मध्य प्रदेश के अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दे दी है।

ऐसी हर प्रतियोगिता के प्रति खिलाड़ियों को कर रहे जागरूक

जिला एथलेटिक संघ के सचिव अनु कुमार ने बताया कि जिन क्षेत्रों में खेल संघ नहीं है या एक्टिव नहीं है, वहां के खिलाड़ी ऐसे फर्जी संस्थाओं के चक्कर में पड़ जाते हैं। उन्होंने बताया कि नेपाल में एक फर्जी प्रतियोगिता इंडो-नेपाल साउथ एशियाई एथलेटिक्स मीट का आयोजन किया गया था जिसमें हर खिलाड़ी से 15:15 हजार रुपये फीस ली गई थी। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता के नाम पर आयोजित इस प्रतियोगिता में विजेता स्वयं को अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता मान रहे हैं, जबकि उनका पदक और सर्टिफिकेट दोनों फर्जी हैं। एसएएएफ ने ऐसी कोई प्रतियोगिता ही आयोजित नहीं की। अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भारत से एथलीट्स को भेजने का काम केवल एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया ही करती है। इसी तरह के फर्जी सर्टिफिकेट जब आगे चलकर नौकरी देने वाले डिपार्टमेंट की तरफ से वेरिफिकेशन के लिए आते हैं तो सीधे तौर पर रिजेक्ट कर दिए जाते हैं। तब खिलाड़ियों को सर्टिफिकेट के फर्जी होने का एहसास होता है और नुकसान का भी अंदाजा लगता है। तब तक उनके लिए और उनके करियर के लिए बहुत देर हो चुकी होती है। अनु कुमार ने बताया कि सालों से सक्रिय इस तरह के फर्जी संस्थानों का फर्जीवाड़ा लगातार बढ़ने के कारण अब एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी खिलाड़ियों को आगाह करना शुरू कर दिया है।

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