मेरठ में सूरजकुंड श्मशान घाट का मंजर, आंधी में उड़ी राख, बरसात ने बुझाई चिताओं की आग

मेरठ में गुरुवार की शाम को अचानक हुई बारिश के चलते सूरजकुंड श्मशान घाट का मंजर देख लोगों के दिल सहम गए। संक्रमित शवों की संख्या ज्यादा होने की वजह से एक के बाद एक रोगी वाहन शव लेकर पहुंच रहे थे। बारिश देख स्‍वजन घबरा गए।

By Prem Dutt BhattEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 09:45 PM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 09:45 PM (IST)
मेरठ में सूरजकुंड श्मशान घाट का मंजर, आंधी में उड़ी राख, बरसात ने बुझाई चिताओं की आग
गुरुवार की शाम को बारिश के कारण चिताओं की आग ठंडी पड़ गई।

मेरठ, जेएनएन। तेज आंधी बारिश में सूरजकुंड श्मशान घाट का मंजर देख लोगों के दिल सहम गए। संक्रमित शवों की संख्या ज्यादा होने की वजह से एक के बाद एक रोगी वाहन शव लेकर पहुंच रहे थे। ऐसे में दाह संस्कार पूर्ण होने से पहले ही बरसात ने चिताओं की अग्नि को शांत कर दिया। यह देखकर मृतकों के स्वजन घबरा गए। उन्होंने पुरोहितों से संपर्क किया। कुदरत के इस रूप के सामने पुरोहितों ने भी हाथ खड़े कर दिए। बरसात रुकने की आस लगाए कई घंटों तक मृतकों के स्वजन श्मशान घाट में ही बैठे रहे और भगवान से बारिश रुकने की प्रार्थना करते रहे।

अंतिम समय में पिता को घर भी नहीं ले जा सका

मूल रुप से मुजफ्फरनगर के ग्राम कुतुपुर बरला निवासी बृजेश धीमान के मुताबिक उनके पिता कलीराम पोस्टआफिस से सेवानिवृत्त थे। वे परिवार के साथ रजबन बाजार में ही रहते थे। पंद्रह दिन पहले उनके पिता के सीने में हल्का दर्द हुआ था। उन्होंने चिकित्सक से परामर्श के बाद कोविड जांच कराई। रिपोर्ट पाजिटिव आने पर बुजुर्ग पिता को केएमसी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। बुधवार देर रात आक्सीजन स्तर कम होने से पिता की मौत हो गई। श्मशान में रोते बिलखते बृजेश यही बोलते रहे, हे भगवान अंतिम समय में पिता को घर भी नहीं ले जा सके। इस कोरोना वायरस और सिस्टम ने इंसान को कितना बेबस बना दिया। परिवार के चार व्यक्तियों के साथ ही अंतिम संस्कार करना मजबूरी बन गई।

दस साल के बेटे ने दी पिता को मुखाग्नि

कंकरखेड़ा स्थित एक कालोनी निवासी देवेंद्र सिंह स्वजन संग रहते थे। वह दिल्ली स्थित एक कंपनी में नौकरी करते थे। लाकडाउन की वजह से पंद्रह दिन पहले वह घर आ गए। उसके दो दिन बाद उनकी तबियत बिगड़ गई। रिपोर्ट पाजिटिव आने पर उन्हेंं मेडिकल में भर्ती कराया गया। चार से पांच दिन में रिकवरी भी हुई लेकिन दो दिन पहले अचानक उनका आक्सीजन स्तर तेजी से कम होने लगा। चिकित्सकों ने उन्हेंं वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया। बुधवार सुबह उनकी मौत हो गई। परिवार के लोग उनके दस साल से बेटे को पीपीई किट के साथ श्मशान घाट लेकर पहुंचे। पिता को मुखाग्नि देते समय बच्चा गुमसुम रहा।

जिसे घोड़ी पर बैठाना था, उसे श्मशान लेकर आना पड़ा

छोटे भाई रवि की चिता को अग्नि देते समय बड़ा भाई सुनील फूट फूटकर रोया। उन्होंने बताया कि कैसा समय आ गया भगवान। मेरे हंसते खेलते परिवार को किसकी नजर लग गई। जिस भाई को घोड़ी पर बैठाने का समय था, आज उसे ही अपने कंधों पर श्मशान लेकर आना पड़ गया। कुदरत के कहर के आगे इतना बेबस हूं की छोटे की मौत की खबर बुजुर्ग माता-पिता को भी नहीं दे सका। अस्पताल से ही सीधा शव को श्मशान लेकर पहुंच गए। ब्रह्मपुरी निवासी सुनील ने चार दिन पहले ही अपने भाई रवि को मेडिकल में भर्ती कराया था, जहां उनकी मौत हो गई।

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