नहीं भाया मल्टीनेशनल कंपनी का 20 लाख का पैकेज, मेरठ निवासी अरुण ने पहन ली फौज की वर्दी

मेरठ निवासी अरुण के सामने अपने करियर को दिशा देने की चुनौतियां आईं लेकिन धैर्य नहीं छोड़ा। उनके दिव्यांग पिता प्रदीप पुंडीर 18 साल से कोमा में हैं। मां सुधा पुंडीर का सहारा मिलता उससे पहले ही वर्ष 2016 में वह सड़क हादसे में चल बसीं। सुधा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता थीं।

By Parveen VashishtaEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 07:01 AM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 09:32 AM (IST)
नहीं भाया मल्टीनेशनल कंपनी का 20 लाख का पैकेज, मेरठ निवासी अरुण ने पहन ली फौज की वर्दी
मेरठ निवासी अरुण पुंडीर बने सेना में लेफ्टिनेंट

मेरठ, जागरण संवाददाता। मुंडाली गांव निवासी अरुण पुंडीर को मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी रास नहीं आई। उन्होंने 20 लाख रुपये के शुरुआती पैकेज को छोड़कर सेना में जाने का निश्चय किया। मेहनत के साथ इस सपने को पूरा करने में जुट गए। टेक्निकल एंट्री के जरिए अब वह सेना में बतौर लेफ्टिनेंट चयनित हुए हैं। उनकी रैंक पांचवीं है।

पिता 18 साल से कोमा में

अरुण के सामने अपने करियर को दिशा देने की चुनौतियां आईं लेकिन उन्होंने धैर्य नहीं छोड़ा। उनके दिव्यांग पिता प्रदीप पुंडीर 18 साल से कोमा में हैं। मां सुधा पुंडीर का सहारा मिलता, उससे पहले ही वर्ष 2016 में वह सड़क हादसे में चल बसीं। सुधा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता थीं। अरुण ने प्राथमिक शिक्षा ट्रांसलेम स्कूल से पूरी की। मेरठ इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलाजी (एमआइईटी) से 2017-21 में बीटेक कंप्यूटर साइंस किया। पढ़ाई पूरी करने से पहले ही उन्हें 20 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर नोएडा में एक आइटी कंपनी में नौकरी मिली, लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़कर सेना में जाने का निश्चय किया। अरुण ने वर्क फ्राम होम में बतौर साफ्टवेयर डेवलपर जुलाई, 20121 से नवंबर, 2021 तक काम किया।

हमेशा रहा सेना में जाकर देश सेवा करने का सपना

अरुण का सपना शुरू से ही सेना में जाकर देश सेवा करने का रहा। अरुण के बड़े भाई अभिषेक भी सेना भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। अरुण के मामा सुरेंद्र ङ्क्षसह तोमर गढ़ रोड स्थित मित्रलोक कालोनी में रहते हैं। अरुण ने बताया कि मामा सूबेदार मेजर पद से रिटायर हुए हैं, जिन्होंने उनका एसएसबी इंटरव्यू के लिए मार्गदर्र्शन दिया। अरुण के चयन की सूचना तीन दिसंबर को मिली। उन्हें 12 दिसंबर को रिपोर्ट करना है।

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