सेहत व व्यापार बिगड़ने से क्षुब्ध व्यापारी ने की आत्महत्या
परतापुर मोहकमपुर फेस-टू स्थित बादशाह ई-रिक्शा कंपनी के आफिस में लोहा व्यापा
मेरठ,जेएनएन। परतापुर मोहकमपुर फेस-टू स्थित बादशाह ई-रिक्शा कंपनी के आफिस में लोहा व्यापारी ने अपने लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली चलाकर आत्महत्या कर ली। इस आत्मघाती कदम के पीछे आंखों की रोशनी कमजोर होना और व्यापार में नुकसान बताया जा रहा है। पुलिस ने मौके से व्यापारी की .22 की रिवाल्वर कब्जे में ले ली।
ब्रह्मपुरी थाना क्षेत्र के बिजली बंबा बाइपास स्थित पर्ल रेजिडेंसी कालोनी में मनीष गाधी पत्नी भावना गाधी और दो बेटियों के साथ रहते थे। मंगलवार को रोजाना की तरह वह अपने दोस्त नितिन शर्मा की बादशाह ई-रिक्शा कंपनी मोहकमपुर फेस टू में गए थे। साढ़े 11 बजे मनीष नितिन से अपनी एक आंख की रोशनी चली जाने को लेकर बातचीत कर रहे थे। उनकी दूसरी आख की रोशनी भी धीरे धीरे कम हो रही थी। नितिन के मुताबिक दोपहर करीब डेढ़ बजे मनीष उनके केबिन से उठकर बाहर वाले केबिन में बैठ गए। उस समय पूरा स्टाफ अपना काम कर रहा था। तभी मनीष ने अपने लाइसेंसी रिवाल्वर मुंह में डालकर गोली चला दी। गोली खोपड़ी से पार होने की वजह से मनीष कुर्सी पर ही बैठे रह गए और रिवाल्वर हाथ में ही रूक गया था। मनीष के खून से लथपथ शव को देखकर आफिस में हड़कंप मच गया। तत्काल यूपी-112 पर काल कर घटना की जानकारी दी गई। परतापुर थाना प्रभारी शैलेंद्र प्रताप सिंह मौके पर पहुंचे। इसी बीच मनीष के तीनों भाई और उनकी पत्नी भी आ गई। घटना की तहरीर नितिन शर्मा ने दी है।
हर रोज नितिन के पास जाते थे मनीष
सुपरटेक पामग्रीन निवासी ई-रिक्शा कंपनी के मालिक नितिन शर्मा ने बताया कि दो साल से मनीष गाधी को व्यापार में नुकसान हो रहा था। मनीष पहले लोहे की चादर का काम करते थे। व्यापार में नुकसान के कारण जून में मनीष ने अपना देवपुरी वाला मकान बेचकर पर्ल रेजिडेंसी कालोनी में नया मकान खरीदा था। रोजाना मनीष सुबह साढ़े 11 बजे कंपनी पहुंच जाते थे। यही पर कई-कई घटे बातचीत करने के बाद घर लौट जाते थे।
सेफ की फैक्ट्री से साझेदारी हटने से टूट गए थे मनीष
मनीष गाधी के पिता जगन्नाथ गाधी की सेफ (लोहे की अलमारी) की दिल्ली रोड पर फैक्ट्री थी। उनके बड़े भाई प्रदीप गाधी की घंटाघर पर मेनका सिनेमा के पास सेफ की दुकान है। मनीष गाधी, दीपक गाधी और रोनी गाधी मिलकर फैक्ट्री चलाते थे। दो साल पहले मनीष की फैक्ट्री से हिस्सेदारी खत्म हो गई थी। इसके बाद मनीष ने लोहे की चादर दिल्ली से खरीदकर बेचना शुरू कर दिया था। यह व्यापार भी नहीं चल सका। दो साल से उनके पास कोई रोजगार नहीं था। ऊपर से आंखों की रोशनी कमजोर हो रही थी। ऐसे में मनीष मानसिक तनाव में आ गए थे।
मनीष की मौत पर पहुंचे शहरभर के व्यापारी
मनीष की मौत के बाद शहर के काफी व्यापारी मौके पर पहुंचे। व्यापारियों ने मनीष की मौत पर दुख जताया है। उनका कहना है कि पर्ल रेजिडेंसी में पहुंचने के बाद उसका दोस्ती का सर्किल भी खत्म हो गया था। सिर्फ नितिन शर्मा के पास जाते थे। व्यापारियों का कहना है कि मनीष हमेशा व्यापार को बढ़ाने की सीख देते थे। अचानक आत्महत्या कर लेंगे। इसका आभास नहीं था। इनका कहना-
मनीष का गोली लगा शव ई-रिक्शा कंपनी के आफिस में मिला है। फोरेंसिक टीम को जाच के लिए भेजा था। मनीष के हाथ से रिवाल्वर पुलिस ने कब्जे में ले ली है। शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। प्रथम जाच में मामला आत्महत्या का सामने आया है। मौके से सुसाइड नोट नहीं मिला है।
-प्रभाकर चौधरी, एसएसपी