सोच समझ कर शोध में करें विषय का चुनाव, इन बातों का रखें खास ख्‍याल

मेरठ कॉलेज के रिसर्च और डेवलपमेंट सोशल साइंस और हिंदू कॉलेज मुरादाबाद की ओर से मेरठ में ई कार्यशाला का आयोजन किया गया।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Thu, 11 Jun 2020 07:51 PM (IST) Updated:Thu, 11 Jun 2020 07:51 PM (IST)
सोच समझ कर शोध में करें विषय का चुनाव, इन बातों का रखें खास ख्‍याल
सोच समझ कर शोध में करें विषय का चुनाव, इन बातों का रखें खास ख्‍याल

मेरठ, जेएनएन। अगर आप कोई शोध करना चाहते हैं तो सोच समझकर सबसे पहले विषय का चुनाव करें। विषय ऐसा होना चाहिए जो नया हो। जिसमें शोध की पूरी संभावना हो।शोध का मूल मकसद नई चीजों को सामने लाना है। एक शोधकर्ता को अपने मन में इस बात को रखते हुए शोध की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए। यह बात गुरुवार को शोध पर आयोजित ई कार्यशाला में विशेषज्ञों ने कही। कार्यशाला का आयोजन मेरठ कॉलेज के रिसर्च और डेवलपमेंट सोशल साइंस और हिंदू कॉलेज मुरादाबाद की ओर से किया गया।

11 जून से 17 जून तक चलने वाली इस कार्यशाला में संयोजक डॉ.आनंद कुमार सिंह ने बताया की कोविड के वजह से जो अकादमिक कार्य रुके हुए है उन्हें गति प्रदान करने के उद्देश्य से ई कार्यशाला का आयोजन किया गया है।

एडवांस रिसर्च इंस्टीट्यूट फ़ॉर डेवेलपमेंट ऑफ सोशल साइंस के जनरल सेक्रेटरी डॉ. संजय कुमार ने बताया की 2010 से अब तक इस संस्था से 18 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी छह कार्यशाला और फैकल्टी डेवलपमेन्ट प्रोग्राम का आयोजन किया जा चुका है। आठ मेजर प्रोजेक्ट पूरे हुए हैं। इस संस्था का पांच देशों और अनेक शैक्षिक संस्थानों के साथ मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग है।जिसके तहत पूरे देश मे संयुक्त रूप से शोध को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य हो रहे हैं।उच्चतर शिक्षा सेवा चयन आयोग, के सदस्य प्रोफ़ेसर हरिवंश दीक्षित ने कहा कि शोध सत्य को जानने, समझने, और उसकी अभिव्यक्ति का सबसे उत्तम और विश्वसनीय साधन है।शोध के माध्यम से हम निरंतर सीखने की दिशा में आगे बढ़ते है।शोध ही ने हमारे जीवन का सम्पूर्ण विकास किया।

शोध ने ही हमे जीवन जीने का अर्थ समझाया।

इस प्रकार शोध, देश, समाज ,विषय और हमारे सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है।

कार्यशाला के माध्यम से सात दिन में सभी प्रतिभागी शोध क्या है

शोध समस्या का चयन कैसे करे। शोध साहित्य क्या है।

शोध की आवश्यकता क्या है।शोध का उदेश्य क्या है।

शोध परिकल्पना क्या है।कौन सी शोध प्रविधि का प्रयोग करना चाहिए।

प्राथमिक और सेकेंडरी डेटा क्या है।

इन सभी बिंदु पर एक सप्ताह की कार्यशाला में विस्तार पूर्वक जानेंगे।

मुख्य वक्ता डॉ. हरि सिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश के प्रोफेसर डीएस रावत ने बताया कि शोध करने के लिए सबसे पहले शोध विषय का चयन बहुत ही सावधानी से किया जाना चाहिए। विषय के चयन में ये जरूर ध्यान रखना जरूरी है कि विषय समसामयिक और प्रासंगिक हो। उच्च कोटि के शोध के लिए आवश्यक है कि प्राथमिक और सेकेंडरी डेटा के प्रयोग से ही शोध कार्य किया जाए।

प्राथमिक डेटा हमारे मूल शोध को प्रमाणित करता है।

सेकेंडरी डेटा हो चुके शोध के गैप को प्रदर्शित करके हमे उन बिंदु पर कार्य करने के लिए प्रेरित करता है कि जो क्षेत्र पूर्व के शोध में छूट गया है।उनको अपने शोध में शामिल किया जा सके।शोध बहुत ही सावधानी के साथ किया जाना चाहिए।

शोध करने से पूर्व अनुभव की आवश्यकता होती है।

अनुभव परफेक्ट शोध की तरफ ले जाता है।

अनुभव अध्ययन से आता है।जितना अधिक अध्ययन करेगे।लोगो से बात करेंगे।अनुभव उतना ही ज्यादा होगा।

डेटा कलेक्शन के उपरांत एडिटिंग ऑफ डाटा होना बहुत जरूरी है।क्योंकि हम कलेक्शन बहुत सारी सामग्री का कर लेते है लेकिन हमारे शोध उदेश्य के अनुरूप डेटा प्रयोग के लिए एडिटिंग बहुत जरूरी है।अच्छे शोध के लिए शोध प्रविधि,तकनीकी और अनुभव की आवश्यकता है। 

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