कुदरत से दोस्ती की सीख दे रहा यह गांव, गोविंदपुरी के लगभग हर घर में हैं आक्सीजन के भंडार वाले पेड़
कोरोनाकाल में आक्सीजन की किल्लत ने जहां संसाधनों को मजबूत करने का ध्यान दिलाया वहीं पेड़ों का महत्व भी समझ आ गया। करीब पांच हजार आबादी वाले गांव गोविंदपुरी में कई दशक पहले बुजुर्गों ने पर्यावरण का महत्व समझा और हर आंगन में आक्सीजन के भंडार वाले पौधे रोप दिए।
मेरठ, [नवनीत शर्मा]। पर्यावरण संरक्षण और संतुलन की बातें तो हर मंच पर होती हैं, लेकिन धरातल पर इस दिशा में प्रभावी कदम शायद ही कभी उठाए गए हों। जनपद के एक गांव में कई दशक पहले पर्यावरण को देवता मानकर उसका महत्व समझा गया। यह गांव है माछरा विकास खंड का गोविंदपुरी, जहां 99 प्रतिशत घरों में आक्सीजन के भंडार वाले पेड़ों की छांव है।
कोरोना काल में आक्सीजन की किल्लत ने जहां संसाधनों को मजबूत करने का ध्यान दिलाया, वहीं पेड़ों का महत्व भी समझ आ गया। करीब पांच हजार आबादी वाले गांव गोविंदपुरी में कई दशक पहले बुजुर्गों ने पर्यावरण का महत्व समझा और हर आंगन में आक्सीजन के भंडार वाले पौधे रोप दिए। ये पौधे आज पेड़ बनकर सुकून की छांव दे रहे हैं। गांव के 99 प्रतिशत घरों में नीम, पीपल, जामुन, बरगद आदि के पेड़ लगे हैं।
औलाद की तरह करते देखभाल
गांव के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि गांव में खड़े कुछ पेड़ों की आयु सौ साल से भी अधिक हो चुकी है। ग्रामीणों ने घर में लगाए गए पेड़ों को अपनी औलाद की तरह पाला है। अपने बच्चों से भी पेड़ों को न कटवाने का संकल्प कराया है।
लबालब रहते हैं तालाब
ग्रामीणों के प्रकृति प्रेमी होने के कारण गांव की तीन दिशाओं में मौजूद तालाब हमेशा पानी से लबालब रहते हैं। तालाबों में पूरे साल पानी जमा होने के कारण भूगर्भ जल स्तर भी ठीक रहता है। बरसात में जलभराव की समस्या नहीं होती। तालाबों में मछली पालन होने के कारण गांव के युवाओं को रोजगार भी मिल रहा है।
इनका कहना है...
गांव के हर घर में पेड़ लगे हुए हैं। बाहर से देखने पर लगता है कि गांव किसी बाग के बीच में बसा है। हमारे गांव के लिए यह गर्व की बात है। इस बार गांव में दो हजार पौधे रोपने की तैयारी है।
- संदीप कुमार, ग्राम प्रधान
ग्रामीण अभी भी पर्यावरण के प्रति अधिक संवेदनशील है। यही कारण है कि गांव के हर घर में पेड़ हैं। ऐसा गांव अन्य लोगों के लिए भी प्रेरित करने वाला है। गांव में इस बार भी सरकारी जमीन पर पौधरोपण कराया जाएगा।
-शशांक चौधरी, सीडीओ