Ahoi Ashtami Vrat 2021: बच्‍चों की लंबी उम्र के लिए महिलाएं रखती हैं अहोई अष्टमी व्रत, जान‍िए व्रत और पूजन का शुभ मुहूर्त

Ahoi Ashtami Vrat 2021 अहोई अष्टमी कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है इस साल यह पर्व 28 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह व्रत महिलाएं बच्चों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 01:30 PM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 09:15 PM (IST)
Ahoi Ashtami Vrat 2021: बच्‍चों की लंबी उम्र के लिए महिलाएं रखती हैं अहोई अष्टमी व्रत, जान‍िए व्रत और पूजन का शुभ मुहूर्त
जान‍िए अहोई अष्‍टमी व्रत और पूजन का शुभ मुहूर्त।

मेरठ, जेएनएन। अहोई अष्टमी कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है, इस साल यह पर्व 28 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह व्रत महिलाएं बच्चों की लंबी उम्र के लिए रखती हैं। इस व्रत में अहोई माता के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है, दिनभर माताएं निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को तारों को देखकर व्रत खोलती हैं। अहोई अष्टमी में माता पार्वती की अहोई माता के रुप में पूजा की जाती है। शाम के समय आकाश में तारे देखने और अघ्र्य देने के बाद महिलाएं व्रत पारण करती हैं। जान‍िए व्रत का महत्‍व और कथा। 

अहोई अष्टमी का व्रत पूजन और मुहूर्त

अहोई अष्टमी का व्रत 28 अक्टूबर दिन गुरुवार को रखा जाएगा। ज्योतिषाचार्य विभोर इंदुसूत ने बताया कि अहोई अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5.39 बजे सेे 6.56 बजे तक रहेगा। जिसकी अवधि एक घंटा 17 मिनट रहेगी। इस दिन माताएं सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। अहोई माता की पूजा की तस्वीर दीवार या कागज पर बनाकर साथ में सेह और सात पुत्रों का चित्र भी बनाती हैं। इसके बाद अहोई माता के चित्र के सामने चौकी पर जल से भरा कलश रखकर मीठे पुए और हलवे का भोग लगाती हैं। इसके बाद अहोई माता की कथा सुनकर शाम को तारों को देखकर व्रत खोलने का विधान है।

अहोई अष्टमी व्रत की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार दीपावली के मौके पर घर को लीपने के लिए एक साहुकार की सात बहुएं मिट्टी लाने के लिए जंगल में गई तो उनकी ननद भी उनके साथ चली गई। साहुकार की बेटी जिस जगह मिट्टी खोद रही थी। इसी जगह स्याहु अपने बच्चों के साथ रहती थी। मिट्टी खोदते समय लड़की की खुरपी से स्याहु का एक बच्चा मर गया। इसलिए जब भी साहुकार की बेटी के बच्चे होते वह सात दिन के अंदर मर जाते थे। एक एक कर सात बच्चों की मौत के बाद लड़की ने जब पंडित को बुलाया और उससे कारण पूछा तो उसे पता चला कि अनजाने में उससे जो पाप हुआ है। यह उसी का नतीजा है। इसके बाद पंडित ने लड़की अहोई माता की पूजा और व्रत करने को कहा, इसके बाद कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन लड़की ने अहोई माता का पूजा विधि विधान से करते हुए व्रत रखा। इसके बाद अहोई माता की कृपा से लड़की के सभी मृत संतान जीवित हो गई। तभी से संतान की लंबी उम्र के लिए माताएं अहोई माता का व्रत करती हैं, और शाम को तारों को देखने के लिए अपना व्रत खोलती हैं।

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