अहोई अष्टमी आज, जानिए इसके पूजन का महत्‍व और व्रत का शुभ मुहूर्त Meerut News

अहोई अष्टमी पर माताएं दिनभर निर्जला व्रत रखकर शाम को तारों को देखकर स्याहु माता की कहानी सुनने और उन्हें भोग लगाने के बाद ही कुछ खाती हैं।

By Prem BhattEdited By: Publish:Mon, 21 Oct 2019 10:10 AM (IST) Updated:Mon, 21 Oct 2019 10:10 AM (IST)
अहोई अष्टमी आज, जानिए इसके पूजन का महत्‍व और व्रत का शुभ मुहूर्त Meerut News
अहोई अष्टमी आज, जानिए इसके पूजन का महत्‍व और व्रत का शुभ मुहूर्त Meerut News

मेरठ, [जागरण स्‍पेशल]। संतान की लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य के लिए माताएं कार्तिक मास की अष्टमी को अहोई अष्टमी का व्रत रखती हैं। इस बार यह व्रत सोमवार को रखा जाएगा। माताएं दिनभर निर्जला व्रत रखकर शाम को तारों को देखकर स्याहु माता की कहानी सुनने और उन्हें भोग लगाने के बाद ही कुछ खाती हैं।

अहोई अष्टमी कहानी

एक साहूकार के सात बेटे और एक बेटी थी। साहूकार ने सातों बेटों और बेटी की शादी कर दी, और अब उसके सात बहू भी थी। बेटी जब एक बार मायके आई तो दीपावली पर घर रंगने के लिए वह बहुओं के साथ जंगल से मिट्टी लेने गई। जब वह मिट्टी काट रही थी। तभी गलती से बेटी की खुरपी की चोट से स्याहु का एक बच्चा मर गया। इस पर क्रोधित स्याहु ने बेटी को कभी मां न बनने का श्रप दे दिया। वह अपनी सातों भाभी से कहती है वह यह श्रप ले लें। लेकिन सबसे छोटी भाभी उसकी बात मानकर श्रप अपने ऊपर ले लेती है। इसके बाद उसके बच्चे जन्म लेते ही सातवें दिन मर जाते। इसके बाद वह सुरही गाय की सेवा करती हैं, और गाय उसकी सेवा से प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहती है। वह इस श्रप से मुक्ति मांगती हैं और गाय माता उसे इससे मुक्त कर देती हैं। इसके बाद वह अहोई माता की विधि विधान से पूजा करके उद्यापन करती हैं। इसके बाद उसे संतान की प्राप्ति होती है। अहोई का एक अर्थ अनहोनी को होनी बनाना भी है।

पूजन का महत्व

इस दिन महिलाएं अहोई माता पार्वती मां की पूजा अर्चना की जाती हैं, और महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखकर बच्चों की लंबी और स्वस्थ आयु की कामना करती हैं। शाम को अहोई माता की आकृति गेरु और लाल रंग से दीवार पर बनाकर उनकी पूजा अर्चना और भोग लगाकर श्रद्धा भाव से तारों का पूजन किया जाता है। पूजा सामग्री में एक चांदी की अहोई माता, चांदी के मोती, रोली, चावल, पुष्प और धूप जरुरी होती है। महिलाएं अहोई माता की मूर्ति वाली माला दीपावली के दिन तक गले में पहने रहती हैं।

व्रत का शुभ मुहूर्त

ऐसा माना जाता है कि जिस दिन की दीपावली होती हैं, उससे एक सप्ताह पहले ठीक उसी दिन अहोई अष्टमी व्रत रखा जाता है। लेकिन इस बार दीपावली 27 अक्टूबर दिन रविवार की है और अहोई अष्टमी का व्रत सोमवार को रखा जाएगा। ज्योतिष अनुराधा गोयल ने बताया कि ऐसा रविवार को आद्र्रा नक्षत्र और नक्षत्र की धीमी गति के कारण हुआ है। इस बार सोमवार को को पुन नक्षत्र पूर्ण योग और विधि पर प्रारंभ और समाप्त हो रहा है। इसलिए इस बार सोमवार को अहोई अष्टमी का व्रत रखा जाएगा। अष्टमी की शुरुआत सोमवार सुबह 6.44 बजे से मंगलवार सुबह 5.25 बजे तक रहेगी। शाम को तारा दिखने का समय 5.45 बजे से 7.20 बजे तक रहेगा।

इनका कहना है

अहोई अष्टमी को कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन माताएं संतान की लंबी आयु बेहतर भविष्य और स्वास्थ्य की कामना करते हुए निर्जला व्रत करती है। इस बार तिथि के बढ़ने से अहोई अष्टमी का व्रत सोमवार को रखा जा रहा है।

- महाराज नीलिमानंद गुरुमां महामंडलेश्वर मनोहरनाथ मंदिर सूरजकुंड 

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