सहारनपुर में बेसहारा भटक रहे गोवंश को लेकर प्रसाशन के पास नहीं कोई स्ट्रांग प्लान, कैसे बचाएं किसान फसलों को

सहारनपुर में खेतों से किसानों द्वारा खदेड़ा गया गोवंश खेतों से निकल कर दिल्ली यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग 709 बी पर कब्जा कर लेता है। राजमार्ग के रास्ते यात्रा करने वाले यात्रियों को गोवंश के कब्जे से खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

By Taruna TayalEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 02:30 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 02:30 PM (IST)
सहारनपुर में बेसहारा भटक रहे गोवंश को लेकर प्रसाशन के पास नहीं कोई स्ट्रांग प्लान, कैसे बचाएं किसान फसलों को
दिल्ली यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग 709 बी पर बेसहारा गोवंश का कब्जा।

सहारनपुर, जेएनएन। आए दिन क्षेत्र का किसान विभिन्न माध्यमों से सरकार व प्रसाशन को सूचना एवं चेतावनी दे रहे हैं कि उनके खेतों में फसलों को बर्बाद कर रहब बेसहारा गोवंश को पकड़ कर गोशालाओं में भिजवाया जाए। परंतु प्रसाशन के ढुल मुल एवं उदासीन रवैये के कारण सैंकड़ो की संख्या में बेसहारा गोवंश निरंतर खेतों में धान व गन्ने की फसल सहित सब्जियों की फसलों को बर्बाद कर रहा है। किसान संगठन जिलाध्यक्ष ठाकुर अजब सिंह, भाकियू नेता पुनीत चौधरी, मुल्की सिंह, सुनील त्यागी, ललित राणा आदि ने स्थानीय प्रसाशन के रवैये के प्रति गहरी नाराजगी प्रकट करते हुए कहा कि जल्द ही बेसहारा गोवंश को गोशाला नहीं भिजवाया गया तो किसान अधिकारियों के दफ्तरों का घेराव करने को मजबूर होंगे।

खेतों से किसानों द्वारा खदेड़ा गया गोवंश खेतों से निकल कर दिल्ली यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग 709 बी पर कब्जा कर लेता है। राजमार्ग के रास्ते यात्रा करने वाले यात्रियों को गोवंश के कब्जे से खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

क्या कहते हैं अधिकारी

खंड विकास अधिकारी डॉ. सीपी सिंह का कहना है कि समय समय पर अभियान चलाकर बेसहारा गोवंश को गोआश्रय स्थल भिजवाया जाता है। जल्द अभियान चला कर बचे गोवंश को भी गोशाला भिजवाया जाएगा।

आखिर क्‍यों जटिल है समस्‍या

गौरतलब है कि नानौता खंड विकास क्षेत्र में दो गोशालाओं के निर्माण के बावजूद समस्या जस की तस बनी हुई है। इसका मुख्य कारण यह है कि निर्मित गोशाला की क्षमता बहुत ही कम है। जबकि क्षेत्र में घूम रहा बेसहारा गोवंश संख्या में बहुत अधिक है। वर्षों से इस जद्दोजहद से जूझ रहे प्रसाशन द्वारा अभी तक किसी भी गोशाला की क्षमता का विस्तार नहीं किया जा सका है। जिससे साफतौर पर जाहिर होता है कि स्थानीय अधिकारियों के पास बेसहारा गोवंश के संरक्षण को लेकर कोई स्ट्रांग प्लान मौजूद नहीं है।

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