मनमाने रेट पर जमीनों का अधिग्रहण, किसी हाल में नहीं देंगे कब्जा
मवाना रोड पर यशोदा कुंज कालोनी से एनएच-119 के चौड़ीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण का किसानों ने पंचायत में विरोध किया। किसानों ने जिला प्रशासन पर पक्षपात और मनमानी का आरोप लगाया।
मेरठ, जेएनएन। मवाना रोड पर यशोदा कुंज कालोनी से एनएच-119 के चौड़ीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण का किसानों ने पंचायत में विरोध किया। किसानों ने जिला प्रशासन पर पक्षपात और मनमानी का आरोप लगाया। उनका कहना है कि यशोदा कुंज से पांच किमी दूर मसूरी गांव में कृषि भूमि पर 40 हजार रुपये मीटर के रेट से मुआवजा वितरण कर दिया गया, जबकि यशोदा कुंज के पास शहरी और एमडीए से स्वीकृत जमीनों पर 15612 रुपये प्रति मीटर के रेट अवार्ड में दिए जा रहे हैं। जबकि इस क्षेत्र में सर्किल रेट भी 16 हजार रुपये प्रति मीटर है। जिस पर आबादी क्षेत्र में लोगों के बैनामे भी उपलब्ध हैं। किसानों ने कहा कि जानबूझकर कम मूल्य देकर उन पर ज्यादती की जा रही है। वह किसी भी हाल में अपनी जमीनों पर कब्जा नहीं देंगे। किसानों ने जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है।
एमडीए की स्वीकृति को झुठला रहा प्रशासन
रजपुरा निवासी आशीष चौधरी ने बताया कि यशोदा कुंज के पास हाईवे पर ही उनका पेट्रोल पंप है। इसकी कागजी कार्रवाई में उन्होंने एमडीए से व्यवसायिक तौर पर शुल्क जमा कर स्वीकृति कराई थी। लेकिन अब भूमि अधिग्रहण करने की प्रक्रिया में प्रशासन पेट्रोल पंप की भूमि को व्यवसायिक मानने को तैयार नहीं है। रजपुरा गांव से रविद्र सिंह, आशीष चौधरी, सुरेश पाल, सतबीर, सतपाल, प्रवीण के अलावा सलारपुर से डा. केपी सिंह, विनोद चौधरी, राजीव कंसल, भूपेश, अनिल, ओमी और बहचौला से संजीव चौहान आदि मौजूद रहे।
बिना पक्ष सुने किसानों की आपत्तियों का निस्तारण
सलारपुर निवासी नारायण फार्म हाउस के संचालक डा. केपी सिंह ने कहा कि यशोदा कुंज के पास से सैनी पुल तक 15612 रुपये प्रति मीटर का अवार्ड दिया जा रहा है, जबकि इसमें शहरी क्षेत्र, आबादी क्षेत्र और कृषि भूमि तीनों सम्मिलित हैं। इसके बावजूद सभी जमीनों का समान रेट कैसे घोषित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि गजट का नोटिफिकेशन जारी किया गया था, जिसमें मवाना रोड के सभी किसानों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। अवार्ड मिलने से पहले फाइल बनाकर ऐतराज लगाया था। आरोप है कि किसी भी आपत्ति में संज्ञान न लेकर बंद कमरे में निर्णय लिया गया और फाइलों में अवार्ड वितरण का निस्तारण प्रस्तुत कर दिया गया। एक भी किसान को बुलाकर उनकी आपत्ति के बारे में पूछा तक नहीं गया।
इन्होंने कहा-
भूमि अधिग्रहण के लिए स्पष्ट शासनादेश है। नियमों के तहत ही पूर्ण कार्रवाई की गई है। मुआवजा भुगतान की दरें भी मनमर्जी से निर्धारित नहीं की जा सकती हैं। ग्रामीण क्षेत्र में सर्किल रेट का चार गुना और शहरी क्षेत्र में सर्किल रेट के दोगुना दर से मुआवजा देने का प्रावधान है। प्रत्येक किसान या उसके प्रतिनिधि अधिवक्ता का पक्ष जानने के बाद ही आपत्तियों का निस्तारण किया जाता है। यदि किसी किसान को कोई शिकायत है तो वह किसी भी कार्य दिवस में आकर समस्या बता सकता है।
-सुल्तान अशरफ सिद्दीकी, एडीएम एलए