अयोध्या मसले पर फैसला : 28 साल का इंतजार..और सुखद अहसास Meerut News

अयोध्या मसले पर 28 साल बाद आए फैसले को लेकर कारसेवकों में खुशी की लहर है। ढांचा विध्वंस प्रकरण में 32 लोगों को बरी किए जाने पर दैनिक जागरण ने छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में घटना के साक्षी रहे कुछ कारसेवकों से बात की। पढ़िए इनकी प्रतिक्रिया।

By Edited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 04:00 AM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 04:00 AM (IST)
अयोध्या मसले पर फैसला : 28 साल का इंतजार..और सुखद अहसास Meerut News
अयोध्या मसले पर 28 साल बाद आए फैसले को लेकर कारसेवकों में खुशी की लहर है।

मेरठ, ओम वाजपेयी। अयोध्या मसले पर 28 साल बाद आए फैसले को लेकर कारसेवकों में खुशी की लहर है। ढांचा विध्वंस प्रकरण में 32 लोगों को बरी किए जाने पर दैनिक जागरण ने छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में घटना के साक्षी रहे कुछ कारसेवकों से बात की। जानिए उनकी प्रतिक्रिया.. सफल हुआ संघर्ष, अब आत्म संतोष है मानसरोवर स्थित अपने आवास में विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संरक्षक रणजीत सिंह बुधवार को उत्साह से भरे नजर आए। उनके पुत्र अशोक ने बताया कि जनवरी 2020 में वे 100 साल की आयु पूरी कर चुके हैं। बुधवार को टीवी पर नेताओं के बरी होने का समाचार देखकर वे फूले नहीं समाए। उम्र के इस पड़ाव पर अतिउत्साह में उनकी जुबान लड़खड़ा जाती है। कान कम सुनते हैं, लेकिन हाव-भाव से वे पूरी बात समझ लेते हैं और समझा देते हैं। चेहरे के भाव और आंखों की चमक बताती है उनका वर्षों लंबा संघर्ष सफल हुआ है, जिसका उन्हें आत्म संतोष है।

वे छह दिसंबर 1992 को अयोध्या में मौजूद थे। आज भी वह दृश्य उनकी आंखों में तैरता है। रणजीत ¨सह उन गिन-चुने लोगों में शुमार हैं जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए भूमि पूजन में आमंत्रित किया गया था। ढांचा गिरने से घायल हो गए थे पुरुषोत्तम दौराला निवासी पुरुषोत्तम उपाध्याय अब 71 वर्ष के हैं। उन्होंने बताया कि 6 दिसंबर 1992 को वे अयोध्या में थे। उन्होंने कहा कि ढांचे के विध्वंस के पीछे सोची समझी साजिश नहीं थी। उस समय अयोध्या का माहौल ही ऐसा हो गया था कि ढांचा ढहा दिया गया। इसमें किसी नेता को जिम्मेदार ठहराना गलत था। कोर्ट ने नेताओं को बरी कर न्याय किया है। कहा, दौराला क्षेत्र से 30 से 35 लोग गए थे। मां कृष्णा देवी और साथी राजवीर नंबरदार भी थे।

कारसेवकपुरम में रह रहे राम भक्तों के लिए ढांचे के पास कारसेवा का समय निर्धारित था। जोश में आ कर मैं भी उक्त ढांचे के पास पहुंच गया। इमारत ढहने के दौरान वे चपेट में आए और घायल भी हो गए। पुलिस वाले फैजाबाद जिला अस्पताल ले गए। एक दिन के उपचार के बाद वापस घर आया। उधर, मां व्याकुल हो रहीं थीं। वापसी में ट्रेन मेरठ नहीं आई। सहारनपुर तक हम लोग आए। वहां से मेरठ पहुंचे। नारी शक्ति ने किया था सक्रिय योगदान रामजन्म भूमि आंदोलन में मेरठ की नारी शक्ति ने बढ़चढ़ कर भाग लिया था।

तत्कालीन मेरठ छावनी विधायक शशि मित्तल ने बताया कि अपने आराध्य राम का मंदिर उनके जन्म स्थल पर बनने का जज्बा कारसेवकों पर हावी था। यह किसी की प्रतिक्रिया नहीं थी। कोर्ट के निर्णय से सभी राम भक्तों में खुशी की लहर है। अयोध्या के लिए मेरठ से 25 महिलाओं का जत्था गया था। रेलवे स्टेशन से रैली स्थल तक हमने पैदल मार्च किया था। हमारे साथ महिलाएं थीं। जिनमें रेखा वाधवा, सुभद्रा शर्मा, बंती पाहवा, उमा उप्पल, संतोष महाजन, शकुंतला कौशिक भी शामिल थीं। ढाचा ढहने के बाद क‌र्फ्यू लग गया था। ट्रेन से हम मेरठ सिटी स्टेशन पहुंचे। पुलिस की निगरानी में हर महिला को घर तक पहुंचाया गया।

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